अब ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष को हटाना मुश्किल:2 साल से पहले नहीं ला सकेंगे अविश्वास प्रस्ताव
लखनऊ। UP में ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष को हटाना अब बेहद मुश्किल होगा। योगी सरकार ने जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुखों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की व्यवस्था बदल दी है। सरकार ने इसके लिए एक नई व्यवस्था बनाई है। इस संबंध में गुरुवार को बकायदा अधिसूचना जारी कर दी है।
इस अध्यादेश के लागू होने के बाद ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष को हटाने के लिए दो साल से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। योगी कैबिनेट के प्रस्ताव को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। इसके बाद अब उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्षों, ब्लॉक प्रमुखों को उनके पद से हटाना आसान नहीं होगा।
अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दो तिहाई वोट की होगी जरूरत
पहले तो अब दो साल से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। इसके बाद अगर अविश्वास प्रस्ताव लाना है तो फिर दो तिहाई वोट की जरूरत पड़ेगी। योगी सरकार ने इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पास किया था, जिसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। अब इस प्रस्ताव पर राज्यपाल ने मुहर लगा दी है। इससे पहले अभी तक यूपी में जिला पंचायत अध्यक्षों और ब्लाक प्रमुखों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की न तो कोई समय सीमा थी और न ही संख्या बल की स्थिति स्पष्ट थी।
सरकार बदलने पर बदल दिए जाते थे चेयरमैन और ब्लॉक प्रमुख
इस कानून से पहले राजनीतिक फायदे के लिए ब्लॉक प्रमुख और चेयर मैन को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए बदल दिए जाते थे। पहले मनमाने तरीके से अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता था ऐसा आम तौर पर सरकार बदलने के बाद देखा जाता था। सरकार बदलते ही ज्यादातर चेयरमैन और ब्लॉक प्रमुखों को उनके पद से अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटा दिया जाता था। सरकार का तर्क है कि इससे क्षेत्र में विकास कार्य प्रभावित होते थे। लेकिन, इस कानून के बाद ऐसा नही हो पाएगा। पंचायती राज विभाग ने अब इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। इसके साथ ही नई व्यवस्था अब प्रभावी हो गई है। अब विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव लाने से पहले दो तिहाई बहुमत की स्थिति स्पष्ट करनी होगी। इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव लाने की इजाजत मिलेगी।