रेप की 4-5 FIR कराने वाली महिलाएं, पुलिस और वकील भी शामिल
भोपाल। मध्यप्रदेश में मुआवजे के लिए रेप के झूठे केस की इस कड़ी में हम बताएंगे वह सच जो डरावना है। इसमें कई किरदार हैं। इसमें सरकार से मदद पाने वाली पीड़िता के साथ कुछ विलेन भी हैं। इन्होंने बाकायदा गैंग बना ली हैं। ऐसी गैंग ने झूठी शिकायत कर कई लोगों की जिंदगियां बर्बाद कर दीं। ऐसी गैंग में फर्जी शिकायतकर्ता से लेकर पुलिस और वकील तक के शामिल होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। SC-ST केस में मुआवजा मंजूर करने वाले अफसर भी मानते हैं कि कई घटनाओं में आर्थिक सहायता का दुरुपयोग हो रहा है।
ग्वालियर की महिला बताती हैं, कुछ महीने पहले तक मैं एक नामी स्कूल में लेक्चरर थी। मेरे 2 बच्चे हैं। पति का बिजनेस था। सामान के ऑर्डर को लेकर एक महिला पति के संपर्क में आ गई। मेल-जोल बढ़ा और फिर ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू हो गया। पहली FIR 30 जून 2021 को भोपाल के निशातपुरा थाने में दर्ज हुई। इसमें जमानत मिली तो 10 अक्टूबर 2021 को एमपी नगर थाने में दूसरी FIR हो गई। मैं फोन पर गिड़गिड़ाती रही कि सर, महिला की शिकायत झूठी है,लेकिन पुलिस नहीं मानी। पुलिस भी ऐसे लोगों के साथ मिली होती है।
बाद में पता चला कि इससे पहले यही महिला 23 सितंबर 2021 को एक और व्यक्ति के खिलाफ रेप की FIR दर्ज करा चुकी है। इसी महिला ने 5 महीने में रेप के 3 केस दर्ज कराए। कचहरी के चक्कर लगाते-लगाते यह भी पता चला कि इसी महिला ने 2014 में भी ऐसी ही 3 झूठी FIR कराई थीं। उसे विभाग से दुष्कर्म पीड़िता के तौर पर आर्थिक मदद भी जारी हो गई।
पति ने 27 लाख रुपए में दुकान बेच दी। दो कारें थी, वो भी बिक गईं। मेरे स्कूल में फोन करके कहा गया कि इसके पति पर रेप की FIR है। नौकरी भी छीन ली गई। अब सब कुछ बर्बाद हो गया। बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते थे। अब फीस भरने के पैसे नहीं हैं। साल भर से स्कूल नहीं जा रहे हैं। उस महिला ने जीना हराम कर दिया है।
जबलपुर में एक ही महिला ने 5 लोगों पर रेप की FIR दर्ज कराई हैं। पीड़ितों का कहना है कि वह महिला उल्टे हमसे सवाल करती है कि कानून में कहां लिखा है कि एक महिला से एक से ज्यादा बार रेप नहीं हो सकता। रेप के मामले में आरोपी बनाए गए एक युवक के पिता आरोप लगाते हैं- इन लोगों का पूरा गिरोह है। इसमें पुलिस और खुद को वकील बताने वाले भी शामिल होते हैं।
मेरे बेटे से पहले उस महिला ने इंस्टाग्राम पर दोस्ती की। फिर मुलाकात करने लगी। इसके बाद शादी का दबाव। फिर दुष्कर्म की एफआईआर। हमने पता किया तो पता चला कि वही महिला पहले भी ऐसी 4 FIR दर्ज करा चुकी है।
सौदा नहीं पटा तो मुआवजा रोकने की सिफारिश
नीमच में बांछड़ा समुदाय की महिला ने छेड़खानी की शिकायत की। तब पुलिस ने उसका केस आर्थिक सहायता के लिए नहीं भेजा। चार्जशीट के बाद भेजा। अब खुद पुलिस ही कह रही है कि महिला आदतन शिकायतकर्ता है। इसे आर्थिक सहायता नहीं दी जानी चाहिए। अब प्रशासन ने मार्गदर्शन मांगा है कि FIR और चालान की दो किश्तें शिकायतकर्ता महिला को दी जाए या नहीं। सूत्रों का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि महिला ने पुलिस को उसका हिस्सा देने से इनकार कर दिया।
ऐसे काम करती है गैंग
जबलपुर में रेप का आरोप झेल रहे एक युवक के पिता ने बताया कि ये लड़कियां अच्छे घरों के लड़कों से संपर्क बनाती हैं। फिर घूमने-फिरने के बहाने उनके वीडियो बना लेती है। वीडियो से ब्लैकमेल करती हैं। फिर रेप की FIR कराती हैं।
यदि पीड़िता दलित-आदिवासी हुई, तो आर्थिक सहायता भी मिलती है। यही नहीं, कोर्ट में होस्टाइल होने से पहले समझौते के एवज में भी वह लाभ प्राप्त करती है। इसमें कुछ बिचौलिए भी सक्रिय रहते हैं। पीड़िताओं को मिलने वाली मदद का एक हिस्सा उन्हें भी मिलता है।
ADG अजाक राजेश गुप्ता कहते हैं कि सिर्फ मुआवजे के लिए शिकायतें होने की बात सही नहीं है। कोर्ट में पीड़िताएं होस्टाइल क्यों हो जाती हैं,ये पुलिस का विषय नहीं है।