शिवमहापुराण कथा: जब भी शिव के मंदिर जाएं तों चौखट लांघ कर ही जाएं- प्रदीप मिश्रा

शिवमहापुराण कथा: जब भी शिव के मंदिर जाएं तों चौखट लांघ कर ही जाएं- प्रदीप मिश्रा
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– देवता भाग्य लिखते हैं महादेव भाग्य पलटते हैं

वाराणसी (जनवार्ता)। रामनगर स्थित डोमरी में सतुआ बाबा गौशाला परिसर में महामंडलेश्वर संतोष दास सतुआ बाबा के सानिध्य में आयोजित शिव महापुराण कथा के छठवें दिन पं. प्रदीप मिश्रा (सीहोर वाले) ने शिव महापुराण कथा को प्रारंभ करने से पहले श्रीराम चंद्र कृपाल भजमन, हनुमान चालीसा व श्रीराम जानकी बैठे है मेरे सीने में के साथ गणेश वंदना और ओम नमः शिवाय की धूनी से कथा का आरंभ किया। जिसमें उन्होने कहा की दस अश्वमेध यज्ञ का फल एक बार बाबा विश्वनाथ के दर्शन से मिल जाता है। कहते हैं कि हजारों हजार यज्ञ का फल शिवलिंग के दर्शन से मिल जाता है। शिव महापुराण की कथा में पारो की कहानी के बारे में बताया कि किस प्रकार पारो के जीवन में दुख इतना अपार पड़ गया कि सारा धन वैभव संपदा सब परिवार वालों ने ले लिया। कुछ भी नहीं बचा। दूसरों के घरों में जाकर बर्तन मांज लेती तो थोड़ा कुछ मिल जाता, तो बच्चों का भरण पोषण करती थी। एक दिन बेटा रोता हुआ बोला मां अपने पास में कुछ भी नहीं है कि भारत में की एक नई स्त्री, मां ऐसी होती है जो अपने बच्चों को हमेशा बल देती रहती है। तो पारो कहती है कि कौन कहता है कि तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है क्यों तुम चिंता करते हो बहुत कुछ है हमारे पास भगवान की शक्ति और उसका नाम है। तू चिंता मत कर तू भगवान की भक्ति कर भगवान नारायण के पास जाता है और माता लक्ष्मी ने कहा किसके पास कुछ नहीं है इसको कुछ तो दो प्रभु भगवान नारायण ने एक हीरे का रतनजड़ित हार उसे दिया और चला गया। भगवान ब्रह्मा के पास गया। वहां से अंगूठी मिली। जब वह पानी पीने गया तो वह पानी में गिर गया। रोता हुआ माँ के पास गया। मां ने कहा घबरा मत तू भगवान शंकर के चौखट पर जाओ । बेटा सोचा भगवान शंकर क्या हमको देंगे। मलिक देगा सोना देगा चांदी देगा वहां एक संत जा रहा था उसने सुना तो कहा कि शंकर भगवान ना तुझे सोने देंगे ना चांदी देंगे ना हार देंगे, शिव तुम्हारी किस्मत अवश्य पलट देंगे। देवता भाग्य लिखते हैं महादेव भाग्य पलट देते हैं। भाग्य में लिखा हुआ केवल शिव के अंदर ही क्षमता है कि वह इसको पलट सकता है।

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।अकाल मृत्यु वह मरे जो काम करें चांडाल का, काल भी उसका क्या करें जो भक्त हो महाकाल का।

कथा में काशी का वर्णन करते हुए कहा कि मां पार्वती को लेकर भगवान भोले शंकर इस काशी में क्यों आए, क्यों पहुंचे, उन्होंने पार्वती को इस भूमि का दर्शन कराया और कहा कि इसका दर्शन कीजिए यह सहज भूमि नहीं है इसके दर्शन मात्र से सारे पापों का क्षीण होता है।

कथा के अंत में भगवान भोलेनाथ की झांकी व आरती के साथ कथा का समापन हुआ। इस अवसर पर महामंडलेश्वर संतोष दास सतुआ बाबा,आयोजन समिति के सदस्य संजय केसरी, संदीप केसरी, आत्मा विश्वेश्वर, प्रदीप मानसिंहका, धीरज गुप्ता, महेंद्र चतुर्वेदी, संजय महेश्वरी, सीताराम अग्रहरि, निधि सिंह सहित अन्य श्रद्धालु शामिल रहें।


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