शैंपू और लोशन में छिपे केमिकल्स से बच्चे में अस्थमा का खतरा, गर्भवती महिलाएं हो जाएं अलर्ट
नई दिल्ली। स्किन केयर प्रोडक्ट्स को यूज करना हमारी जिंदगी में बहुत आम हो चुका है। खासतौर पर ऐसे मौसम में जहां हमारी स्किन ड्राई होती जा रही है। हम दिन में कई बार बॉडी लोशन लगाते हैं पर हम इस बात से अनजान नहीं है कि किसी भी चीज को जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है। जबकि हम इस बात से अच्छी वाकिफ है कि इनमें कई तरह से केमिकल्स मौजूद होते हैं। एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि गर्भावस्था के दौरान लोशन और शैंपू में मौजूद केमिकल्स के कांटेक्ट में आने वाली महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं में अस्थमा जैसी बीमारियां होने के चांसेस हो सकते है।
एक यूनिवर्सिटी ने गर्भावस्था के दौरान कुछ रोजमर्रा के केमिकल के संपर्क में आने और बच्चों में अस्थमा के विकास के बीच संबंध का पता लगाने के लिए 3,500 से ज्यादा मां-बच्चे की जोड़ी के डेटा एनालाइज किया गया।
‘एनवायरनमेंटल पॉल्यूशन’ की एक पत्रिका में हाईलाइट किया गया कि अर्ली प्रेग्नेंसी के दौरान लोशन और शैंपू जैसे स्किन केयर प्रोडक्ट्स में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल ‘ब्यूटिलपैराबेन’ के कांटेक्ट में आने से बच्चों में अस्थमा के खतरे में 1.54 गुना बढ़ जाता है।
स्टडी में क्या आया सामने?
स्टडी में पता चला कि 4-नोनिलफेनॉल नामक केमिकल के संपर्क में आने वाली माताओं से पैदा हुए लड़कों में अस्थमा होने के 2.09 गुना चांसेस होते है। हालांकि लड़कियों में ऐसा कुछ खतरा नहीं पाया गया। शोध की टीम ने प्रेग्नेंट महिलाओं से यूरिन सैंपल को कलेक्ट किया, जिसमें 24 तरह के फिनोल को मेजर किया गया।
सांस और एलर्जी जैसी बीमारियां
रिसर्च टीम ने चार साल की उम्र तक बच्चों के हेल्थ पर नजर रखी। ये इसलिए किया गया क्योंकि डेली केमिकल्स का इस्तेमाल बच्चों में सांस और एलर्जी जैसी बिमारियों को कैसे बढ़ावा दे सकता है। नॉनिलफेनोल को एंडोक्राइन सिस्टम को रोकने के लिए जाना जाता है। पहले की स्टडीज से पता चला है कि इनके कांटेक्ट में आने से हाल ही में अस्थमा जैसी बीमारियों में बढ़ोतरी हुई है। रिसर्च टीम ने कहा कि बच्चों में फिनोल के लेवल को डायरेक्ट मेजर न करें। उन्होंने इसके बारे में और ज्यादा जानकारी पता लगाने के लिए फ्यूचर स्टडी करने पर जोर दिया है।