राजीव जैन ने अडानी समूह के स्टॉक्स में 10% तक हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए किया 3.5 बिलियन डॉलर निवेश
नई दिल्ली। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सामने आने के बाद ताश के पत्तों की ढहने के बाद मार्च 2023 के पहले हफ्ते में अडानी समूह को बेलआउट करने वाले जीक्यूजी पार्टनर्स के को-फाउंडर और चैयरमैन राजीव जैन ने अडानी समूह में अपने निवेश और बढ़ा दिया है। जीक्यूजी पार्टनर्स ने 10 फीसदी के करीब अडानी समूह की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ा दिया है। इसके लिए कंपनी ने 3.5 बिलियन डॉलर रकम निवेश किया है।
आगे भी करते रहेंगे निवेश
राजीव जैन ने कहा कि भविष्य में अडानी समूह कोई फंड जुटाने की कोशिश करती है तो जीक्यूजी पार्टनर्स उस अभियान में भी हिस्सा लेगी। उन्होंने कहा कि अडानी समूह का भारत में उपलब्ध इंफ्रास्ट्रक्टर एसेट सबसे शानदार है। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में अडानी परिवार के बाद हम समूह में सबसे बड़े निवेशक बनना चाहते हैं हालांकि ये वैल्यूएशन पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि वे अडानी समूह के किसी भी नए ऑफर में पार्टनर बनना चाहेंगे।
मार्च में 15446 करोड़ रुपये किया था निवेश
राजीव जैन ने एक इंटरव्यू में ये बातें कही है। हालांकि उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि अडानी समूह की किन कंपनियों में जीक्यूजी पार्टनर्स ने निवेश किया है। जीक्यूजी पार्टनर्स की अडानी समूह में होल्डिंग 3.5 अरब डॉलर के वैल्यू के बराबर है। इससे पहले भी मार्च में अडानी समूह के लिए जीक्यूजी पार्टनर्स के को-फाउंडर और चैयरमैन राजीव जैन बेहद खास साबित हुए थे। जिन्होंने 15446 करोड़ रुपये में अडानी समूह की चार कंपनियों के शेयर खरीदकर समूह को संजीवनी प्रदान की थी। राजीव जैन के अडानी समूह के स्टॉक्स में निवेश के बाद से ही समूह की कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव में कमी देखने को मिली थी। और अब सुप्रीम कोर्ट की कमिटी की रिपोर्ट और जीक्यूजी पार्टनर्स के समूह की कंपनियों में निवेश से शेयर्स रॉकेट बना हुआ है।
कौन है राजीव जैन
राजीव जैन जीक्यूजी पार्टनर्स के चेयरमैन और चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर हैं और वे जीक्यूजी की निवेश की रणनीति बनाते हैं। पोर्टफोलियो मैनेजर के तौर पर उन्होंने 1994 में शुरुआत की थी। केवल सात वर्षों में राजीव जैन ने जीक्यूजी को 92 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट पावरहाउस बना चुके हैं। पिछले कई वर्षों से वे अडानी समूह के स्टॉक्स पर नजर बनाये हुए थे लेकिन उन्हें तब समूह के शेयर का वैल्यूएशन महंगा नजर आ रहा था। लेकिन हिंडनबर्ग के रिपोर्ट के सामने आने के बाद से जीक्यूजी पार्टनर्स को अडानी समूह में निवेश का बड़ा अवसर मिल गया है।