सरयू,राप्ती,रोहिन नदियां खतरे के निशान के ऊपर
अक्टूबर में बाढ़ आने से लोगों का परेशानी बढ़ गई है। सरयू, राप्ती एवं रोहिन नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। जिले में विभिन्न तहसीलों के 58 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। हालांकि अभी किसी को बाढ़ राहत शिविर में रखने की जरूरत नहीं पड़ी है। राहत एवं बचाव कार्य के लिए तैयारी कर ली गई है और सिंचाई विभाग व प्रशासन द्वारा लगातार बाढ़ पर नजर रखी जा रही है। आने वाले कुछ दिनों तक जलस्तर में वृद्धि की संभावना है।
सरयू नदी का जलस्तर अयोध्या पुल के पास 92.97 मीटर दर्ज किया गया। यह नदी खतरे के बिन्दु से 24 सेमी ऊपर बह रही है। सुबह राप्ती नदी भी खतरे का निशान पार कर गई। राप्ती नदी इस साल पहली बार खतरे के बिन्दु से पार पहुंची है। शाम को इस नदी का जलस्तर 75.17 मीटर यानी खतरे के बिन्दु से 19 सेमी ऊपर दर्ज किया गया। हार्बर्ट बांध के किनारे के गांव में नदी का पानी भर गया और कुछ लोग नाव से सुरक्षित स्थान पर पहुंचे।
रोहिन नदी का जलस्तर 83.57 मीटर दर्ज किया गया। यह नदी खतरे के बिन्दु से एक मीटर 13 सेमी ऊपर बह रही है। सभी नदियों के जलस्तर में वृद्धि जारी है। राप्ती की सहायक गोर्रा नदी का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है। यह नदी खतरे के बिन्दु से 40 सेमी नीचे रह गई है। बाढ़ से प्रभावित गांवों में आवागमन के लिए आवागमन के लिए प्रशासन की ओर से 22 नाव लगाई गई है। इन गांवों के करीब चार हजार 765 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। एक हजार 781 हेक्टेयर क्षेत्रफल बाढ़ से प्रभावित हुआ है।
नदियों का जलस्तर बढ़ने से कैंपियरगंज क्षेत्र में सर्वाधिक समस्या उत्पन्न हुई है। इस तहसील के 52 गांव प्रभावित हैं। बुढ़ेरी गांव में लोगों को अपना टोला छोड़कर दूसरे टोले में शरण लेनी पड़ी है। इस तहसील में धान एवं सब्जी का फसल प्रभावित हुई है। लोगों के आवागमन के लिए चार नाव लगाई गई है। सदर क्षेत्र के दो गांव प्रभावित हैं, जहां 15 नाव लगाई गई है। सहजनवा में दो गांव बाढ़ से प्रभावित हैं और यहां तीन नाव आवागमन के लिए लगाई गई है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने राहत सामग्री किट के लिए आर्डर दे दिया है। बांधों की लगातार निगरानी की जा रही है। सुरक्षा की दृष्टि से एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ को सक्रिय कर दिया गया है।