राजद्रोह कानून को किया जाएगा खत्म,गृहमंत्री अमित शाह का लोकसभा में ऐलान
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में ऐलान करते हुए बताया है कि राजद्रोह कानून को खत्म किया जा रहा है,इसे लेकर सरकार की तरफ से एक प्रस्ताव पेश किया गया। पिछले कई दशकों से चले आ रहे इस कानून को लेकर काफी विवाद भी हुआ था, कई विपक्षी दलों ने इसे खत्म करने की मांग की थी और इसके दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
तीन कानूनों को किया गया खत्म
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा,मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वो तीनों विधेयक दंड विधान प्रक्रिया,क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को सुधारने वाले हैं। पहला इंडियन पीनल कोड जो 1860 में बनाया गया,दूसरा है क्रिमिनल प्रोसिजर कोड जो 1898 में बनाया गया और तीसरा है इंडियन एविडेंस एक्ट जो 1872 में अंग्रेजों की संसद ने पारित किए थे। इन तीनों को आज हम समाप्त कर तीन नए कानून बनाने के लिए आया हूं।
केंद्रीय गृहमंत्री ने इस दौरान बताया कि अब भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता होगी,वहीं सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता होगी। इसी तरह एविडेंस एक्ट का नाम बदलकर अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम किया गया है और राजद्रोह का कानून खत्म करने का प्रस्ताव रखा गया है।
कानूनों का मकसद सभी को न्याय देना
गृहमंत्री शाह ने कहा कि ये कानून अंग्रेज शासन को मजबूत करने के लिए बनाए गए थे,जिसका उद्देश्य दंड देने का था,न्याय देने का नहीं था। इन तीनों कानूनों को रिप्लेस कर जो नए कानून बनेंगे उनकी आत्मा भारत के नागरिकों को संविधान के तहत जितने अधिकार मिले हैं, उनकी सुरक्षा करना…इन कानूनों का उद्देश्य दंड देना नहीं होगा,सभी को न्याय देना होगा। अब भारतीय आत्मा के साथ ये तीन कानून लागू होंगे।
पहले चैप्टर में महिलाओं के खिलाफ अपराध
गृहमंत्री ने बताया कि इन कानूनों को मैं स्टैंडिंग कमेटी को भेजने वाला हूं,इसलिए इन पर ज्यादा नहीं बोलूंगा। उन्होंने कहा,इन कानूनों की प्राथमिकता अलग थी। महिलाओं के साथ दुराचार से बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता है। इसको 302 नंबर पर जगह दी गई थी,इससे पहले राजद्रोह,खजाने की लूट,शासन के अधिकारी पर हमला था। इसी अप्रोच को हम बदल रहे हैं। इसमें सबसे पहला चैप्टर महिलाओं और बच्चों के साथ अपराध,दूसरा चैप्टर मानव हत्या और मानव शरीर को जो अपराध आते हैं उसका आएगा।