मुंशी प्रेमचंद की 86वीं पुण्यतिथि पर सेतु ने किया माल्यापर्ण
वाराणसी। सांस्कृतिक संस्था सेतु की ओर से मुंशी प्रेमचंद की 86वीं पुण्यतिथि पर उनका स्मरण किया गया। सेतु सांस्कृतिक केंद्र के पदाधिकारी एवं सदस्यों ने लहुराबीर स्थित मुंशी प्रेमचंद की मूर्ति पर माल्यार्पण किया।
इस अवसर पर हुई संक्षिप्त सभा की अध्यक्षता करते हुए शायर नरोत्तम शिल्पी ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को सदैव नई दिशा दिखाने का कार्य किया है। उनके निधन के 8 दशक से भी अधिक समय बाद उनका लिखा एक एक अक्षर उतना ही प्रासंगिक है जितना लेखन के काल में था। शायर शमीम गाजीपुरी रे कहां के मुंशी प्रेमचंद्र के लेखक की शुरुआत उर्दू से हुई थी उर्दू में लेखन को अत्यधिक लोकप्रियता मिलते दे उन्होंने अपने श्रेष्ठ जनों के शक की सलाह पर हिंदी में भी लेखन आरंभ किया देखते ही देखते मुंशी प्रेमचंद हिंदी लेखन में इतने आगे निकल गए कि उनके पीछे गद्य की विधा में दूर-दूर तक कोई साहित्यकार नजर नहीं आता। शायर अलकबीर ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद हम लोगों के लिए एक ऐसे प्रेरणा पुण्य है जो घनी अंधेरी रात में भी साहित्य का पथ आलोकित करते रहेंगे। युवा रंगकर्मी राजलक्ष्मी मिश्रा ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद जी की कृतियां समाज के सभी वर्गों के उनके दायित्व का बोध कराती हैं। साथ ही यह संदेश भी देती है कि हमें सभी के हित को ध्यान में रखते हुए अपना हित साधना है। कार्यक्रम संयोजक सलीम राजा ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद की जयंती के दिन तो शहर भर के साहित्यिक संगठनों में बड़ी हलचल होती है। तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। किंतु उनकी पुण्यतिथि पर यह शहर खामोश हो जाता है। यह किसी भी दृष्टि से बनारस की सांस्कृतिक विरासत के अनुकूल नहीं है।