शशि थरूर बोले- चुनावी भाषण था राष्ट्रपति का अभिभाषण

शशि थरूर बोले- चुनावी भाषण था राष्ट्रपति का अभिभाषण
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नई दिल्ली । संसद का बजट सत्र आज से शुरू हो गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के अभिभाषण के साथ ही बजट सत्र की शुरूआत हुई। राष्ट्रपति ने संसद के सेंट्रल हाल में दोनों सदनों के सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 9 सालों में दुनिया का भारत को देखने का नजरिया बदला है।

चीन-महंगाई समेत कई मुद्दे सदन में उठाएंगे- खरगे
वहीं, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विपक्षी सांसदों ने प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सत्र में हमें कई मुद्दे उठाने हैं। महंगाई-बेरोजगारी के अलावा देश का जो पैसा कुछ पूंजीपतियों को देकर बर्बाद किया जा रहा है, उसका मुद्दा भी हम उठाएंगे। चीन को लेकर विदेश नीति का मुद्दा जो हमने पिछली बार उठाया था, उसे हम इस बार भी उठाएंगे। इसके अलावा जो विपक्ष ने सर्वदलीय दल की बैठक में बातें उठाईं हैं, उसे लेकर भी सब मिलकर लड़ेंगे।

सदन में अपने विचार रखेंगे- अधीर रंजन
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण बताता है कि सरकार क्या चाहती है और क्या करती है। राष्ट्रपति सरकार का बयान प्रस्तुत करते हैं। फिर भी हम राष्ट्रपति के अभिभाषण का सम्मान करते हैं। सदन में जब चर्चा होगी तब हम अपने विचार रखेंगे। सरकार के खिलाफ बहुत से मुद्दे हैं।

‘सरकार के चुनाव अभियान की तरह लगा अभिभाषण’
कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने राष्ट्रपति के अभिभाषण को लेक सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ती हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार अपना अगला चुनाव अभियान उनके माध्यम से चला रही है। पूरा भाषण एक चुनावी भाषण था, जो सरकार द्वारा किए गए हर काम के लिए उसकी प्रशंसा करने की कोशिश कर रहा था और उन चीजों को छोड़ा गया जो सरकार ने इतना अच्छा नहीं किया है।

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क्या बोले फारुक अब्दुल्ला और केशव राव
वहीं, नेशनल कांफ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर कहा कि उनका अच्छा संबोधन था। इसके अलावा बीआरएस सांसद केशव राव ने भी अभिभाषण पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा हमने आज राष्ट्रपति का अभिभाषण सुना, लेकिन इसमें बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों का कोई जिक्र नहीं था। मैं राष्ट्रपति को सुझाव देता हूं कि पीएम को ‘अडानी एक्ट’ नामक अधिनियम लाने की सलाह दें, क्योंकि अब केवल क्रोनी कैपिटलिज्म है।


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