दुष्कर्म का केस दर्ज कराने वाले गिरोह की जांच पूरी,पूरी नहीं कार्रवाई
गोरखपुर। गोरखपुर जिले में दुष्कर्म का केस दर्ज कराकर रुपये ऐंठने वाली महिलाओं के गिरोह का भंडाफोड़ तो हो गया,लेकिन कार्रवाई अब तक नहीं हो सकी है। पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) कैंट और बांसगांव की जांच से यह साबित हो चुका है कि गिरोह में चार महिलाएं हैं। इनमें से दो सगी बहनें हैं।
इन महिलाओं ने अलग-अलग थानों में दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में साजिशन 11 केस दर्ज कराए हैं। गिरोह को एक अधिवक्ता का संरक्षण प्राप्त है। जांच रिपोर्ट एसएसपी के पास मौजूद है। हालांकि, इसी बीच एसएसपी का तबादला होने की वजह से कार्रवाई लटक गई है। अब पीड़ित ने आईजीआरएस व एसएसपी को प्रार्थनापत्र देकर कार्रवाई की मांग की है।
जानकारी के मुताबिक, दुष्कर्म में जेल की सजा काटने और मामले से बरी होने वाले कैंपियरगंज के खालिद ने मुख्यमंत्री के जन सुनवाई पोर्टल (आईजीआरएस) पर सक्रिय गिरोह की जानकारी दी थी। साथ ही जांच कराकर आरोपी महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इस मामले की जानकारी तत्कालीन एसएसपी डॉ. विपिन ताड़ा को मिली थी।
उन्होंने पूरे मामले की जांच सीओ कैंट व सीओ बांसगांव को सौंपी थी। सीओ ने गहनता से जांच कर रिपोर्ट एसएसपी को दी है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 11 आपराधिक केस में चार महिलाएं शामिल हैं। इन मामलों में अलग-अलग आरोपी दिखाए गए हैं। मुकदमों में भी अलग-अलग आरोपी हैं, जबकि वादिनी मात्र चार ही हैं।
जिन मामलों में न्यायालय के आदेश पर केस दर्ज हुए हैं, उसमें एक ही अधिवक्ता की भूमिका सामने आई है। एक ही गिरोह की महिलाएं हैं, जो इस तरह के आपराधिक मुकदमों में फंसाने के लिए न्यायालय का सहारा लेकर लोगों के खिलाफ केस दर्ज करा रही हैं। सीओ ने रिपोर्ट में अधिवक्ता का नाम लिखा है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि हर मामले में अधिवक्ता की मुख्य भूमिका मिली है। एसएसपी के पास जांच रिपोर्ट है,लेकिन अभी कार्रवाई नहीं हो सकी है।
पहले महिला,फिर बहन ने दर्ज कराया था दुष्कर्म का केस
सीओ की जांच में सामने आया था कि 2018 में राजघाट और गोरखनाथ में दुष्कर्म का केस दर्ज कराने वाली महिला अपनी बहन को आगे करती है, फिर बहन से खजनी थाने में तीन लोगों पर दुष्कर्म का केस दर्ज करा देती है। इस मामले में आरोपी जेल भी भेजे गए। एक युवक ने विरोध किया तो उसके परिचित पर गीडा थाने में सामूहिक दुष्कर्म का केस 2021 में दर्ज करा दिया गया। इन सब मामलों में भी पैरवीकार एक ही है, जिसने कोर्ट के जरिए केस दर्ज कराने की सलाह दी थी।
एफआर लगाने वाला दरोगा भी बना है आरोपी
महिला ने 2016 के दौरान ही कैंपियरगंज थाने में तीन लोगों पर सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज कराया। मामले में आरोपी पहले जेल भेजे गए, फिर पुलिस ने मामले की गहनता से जांच की। अफसरों के आदेश पर हुई जांच में पुलिस ने पाया कि मामला पूरी तरह से फर्जी है। विवेचक ने मामले में फाइल रिपोर्ट लगा दी।
महिला को जैसे ही इसकी जानकारी हुई, उसने फिर विवेचक रहे दरोगा पर ही लूट, बलवा, धमकी देने का केस दर्ज करा दिया। इस बार उसका आरोप था कि केस की जांच के दौरान दरोगा ने उससे रुपये छीन लिए और धमकी दी।
एसएसपी डॉ.गौरव ग्रोवर ने कहा कि जांच रिपोर्ट के बारे में जानकारी की जा रही है। जांच रिपोर्ट का अध्ययन कर कार्रवाई की जाएगी।