सैफई पहुंचा पार्थिव शरीर,गूंजा ‘जब तक सूरज-चांद रहेगा नेताजी का नाम रहेगा’
लखनऊ। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का आज निधन हो गया है। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। यूपी में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया गया है। पढ़ें मुलायम सिंह के निधन से जुड़ा हर अपडेट
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे सैफई
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन को मुख्यमंत्री योगी आदित्यानथ 4:35 बजे इटावा के सैफई पहुंचे। इसके बाद से वह पार्थिव शरीर के आने का इंतजार कर रहे थे।
सैफई पहुंचा मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पिता मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर का काफिला लेकर शाम 5.23 बजे सैफई पहुंचे। इस दौरान कार्यकर्ताओं और समर्थकों का हुजूम उमड़ा और जब तक सूरज चांद रहेगा नेता जी का नाम रहेगा के नारे गूंजे।
मथुरा से लेकर आगरा तक लोगों ने नम आंखों से ‘नेता जी’ को दी अंतिम विदाई
गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल से मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर यमुना एक्सप्रेस वे होते हुए सैफई के लिए ले जाया गया है। इस दौरान जब शव यात्रा मथुरा के मांट और बाजना से गुजरी तो वहां पहले से मौजूद लोगों की भीड़ ने अपने नेता को अंतिम विदाई दी। इसके बाद ये यात्रा आगरा के खंदौली टोल प्लाजा पर पहुंची। यहां पहले भी पहले से ही बड़ी संख्या में सपा कार्यकर्ताओं और लोगों की भीड़ जमा हुई थी। शव यात्रा को देख लोगों की आंखे नम हो गईं।
चंदन की लकड़ी से होगा मुलायम सिंह यादव के शव का अंतिम संस्कार
सपा संरक्षक और यूपी के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार चंदन की लकड़ी से होगा। इत्रनगरी कन्नौज से लकड़ी और फूल लेकर समाजवादी व्यापार सभा के प्रदेश कोषाध्यक्ष सैफई पहुंचे हैं।
अलीगढ़ के टप्पल से गुजरा ‘नेता जी’ के पार्थिव शरीर का काफिला
मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर का काफिला अलीगढ़ के टप्पल में यमुना एक्सप्रेसवे से होकर गुजरा है। जहां समर्थकों और कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ उमड़ी और उन्होंने पार्थिव शरीर के दर्शन किए। इस दौरान यमुना एक्सप्रेसवे पर भारी पुलिस बल तैनात रहा।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव एक ऐसे नेता थे जिन्होंने गरीबों से जुड़कर अपनी ज़िंदगी गुजारी। अभी तक के जो भी नेता रहें उनमें से मुलायम जी एक बड़ा नाम थे।दिलचस्प बात यह है कि इतनी उम्र के बावजूद वे सदन में आते और हर वक्तव्य को सुनते समझते थे।