चुनावी रेवड़ियों को बंद करने का समय आ गया? SCने केंद्र और EC को भेजा नोटिस
नई दिल्ली। चुनाव आते ही सियासी दल बीते कई सालों से मुफ्त का ऐसा बाजार सजाते हैं, जिसमें वोटर फंस ही जाते हैं। बस की यात्रा हो, बिजली का बिल हो या फिर राशन और स्कूटी… हर राज्य में चुनाव के समय राजनीतिक दल ऐसी लोकलुभावन योजनाओं को फ्री में देने का ऐलान करते हैं। जब राजनीतिक दल की चुनाव में जीत होती है तो मुफ्त की सरकारी योजनाओं को राज्य में लागू भी कर दिया जाता है।
चुनाव के दौरान फ्रीबीज यानि चुनावी रेवड़ियों के वादे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि चुनावों के दौरान किसी भी तरह के फ्री वादे को रिश्वत करार दिया जाए। साथ ही चुनाव आयोग को इलेक्शन के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा की जाने वाली मुफ्त योजनाओं के वादे को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को अब नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही पीठ ने इस याचिका को अन्य लंबित मामलों के साथ जोड़ दिया है। पीठ ने याचिकाकर्ता को छूट देते हुए कहा कि वो सभी याचिकाओं पर जल्द सुनवाई के लिए अनुरोध कर सकता है।
देश में बीते कुछ समय में चुनाव के समय फ्री योजनाओं को देने की मांग ने जोर पकड़ा है। लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनावों तक इसकी गूंज सुनाई दी है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने कुछ यूनिट फ्री बिजली और मुफ्त पानी देने का वादा किया। कांग्रेस ने भी कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान इसी तरह के वादे किए। वहीं, भाजपा शासित राज्यों में भी मुफ्त सरकारी योजनाएं चल रही हैं। चुनावी रेवड़ियों के वादे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही कई याचिकाएं लंबित हैं। पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमना, पूर्व सीजेआई जस्टिस यूयू ललित की पीठ पहले ही फ्रीबीज मामले में सुनवाई कर चुकी है। हाल ही में डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की है।