तेज़ी से संक्रमित करता है टोमैटो फ्लू, जानें इसके लक्षण और इलाज का तरीका
नई दिल्ली,कोरोना वायरस और मंकीपॉक्स के अलावा मेडिकल एक्सपर्ट्स देश में एक और वायरस से जूझ रहे हैं। लेंसेट स्टडी से पता चलता है कि भारत में टोमैटो फ्लू के अभी तक 82 मामले सामने आ चुके हैं। आपको बता दें कि 6 मई को केरल में इस फ्लू का पहला मामला सामने आया था।
शोध के अनुसार, एक से पांच साल की उम्र के बच्चों और जिन लोगों की प्रतिरक्षा कमज़ोर है, उनमें ये आम संक्रामक रोग हाथ, पैर और मुंह की बीमारी का एक नया रूप हो सकता है।
क्या है टोमैटो फ्लू?
इसी साल मई के महीने में केरल में टोमैटो फ्लू का पहला मामला सामने आया था। रिसर्च से पता चलता है कि टोमैटो फ्लू वायरस में भी कोविड-19 जैसे ही लक्षण नज़र आते हैं, हालांकि, यह SARS-CoV-2 से जुड़ा वायरस नहीं है। यह वायरल संक्रमण नही है, बल्कि बच्चों में चिकंगुनिया या फिर डेंगू बुखार के बाद का असर हो सकता है।
इस फ्लू में पूरे शरीर में लाल और दर्दनाक छाले पड़ जाते हैं, जो धीरे-धीरे टमाटर के साइज़ के होते जाते हैं। इसलिए इसे टोमैटो फ्लू कहा जाता है।
टोमैटो फ्लू के लक्षण क्या हैं?
बच्चों में देखे जाने वाले टोमैटो फ्लू के शुरुआती लक्षण चिकनगुनिया के समान होते हैं, जिसमें तेज़ बुखार, चकत्ते और जोड़ों में तेज़ दर्द शामिल है। इसके कुछ लक्षणों में शरीर में दर्द, बुखार और कमज़ोरी भी शामिल है, जो आमतौर पर कोविड-19 से जूझ रहे मरीज़ों में देखे जाते हैं। दूसरे लक्षणों में जोड़ों में सूजन, मतली, शरीर में पानी की कमी, जोड़ों में दर्द और तेज़ बुखार शामिल है। कुछ मामलों में मरीज़ों की त्वचा पर चकत्ते भी देखे गए हैं।
स्टडी के अनुसार, इसके और भी लक्षण हैं, जिसमें कमज़ोरी, मतली, उल्टी, दस्त, बुखार, पानी की कमी, जोड़ों में दर्द, बदन दर्द और आम सर्दी-ज़ुकाम जैसे लक्षण दिखते हैं, जो कि डेंगू में भी देखे जाते हैं।
टोमैटो फ्लू का पता कैसे लगाया जाता है?
अगर ऊपर बताए गए लक्षण महसूस होते हैं, जो मरीज़ को डेंगू, चिकनगुनिया, ज़ीका वायरस, वैरिसेला-ज़ोस्टर वायरस और हर्पीज़ के निदान के लिए मोलिक्यूलर और सीरोलॉजिकल टेस्ट से गुज़रना होता है। जब टेस्ट में बाकी के वायरल इंफेक्शन नहीं देखे जाते, तब टोमैटो फ्लू की पुष्टि की जाती है।
क्या है टोमैटो फ्लू का इलाज?
टोमैटो फ्लू का इलाज भी चिकनगुनिया, डेंगू और हैंड, फुट एंड माउथ बीमारी की तरह का ही होता है। मरीज़ों को सलाह दी जाती है कि वे आइसोलेट करें, आराम करें, खूब सारा फ्लूएड्स लें और चकत्तों में दर्द और खुजली से राहत पाने के लिए गर्म पानी की पट्टियां का इस्तेमाल करें। इसके अलावा डॉक्टर आपको कुछ एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह देंगे।