पर्यटन उद्योग साल 2025 तक 45 अरब डालर तक पहुंच सकता है
नई दिल्ली। पूरब से लेकर पश्चिम,उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत दर्शनीय है। भारत को जितना देखना चाहो देखो जितना समझना चाहो समझो और जितना घूमना चाहो घूमो लेकिन इसको और देखने समझने की लालसा कभी कम नहीं होती। घुमक्कड़ी के शौकीन भारत के लोग तो पहले से ही रहे हैं।
कोई देश की सांस्कृतिक धरोहरों को समझना चाहता है तो किसी को राजे रजवाड़ों और उनकी विरासत को देखना चाहता है। भारत में करोड़ों ऐसे श्रद्धालू हैं जिन्हें धार्मिक स्थलों पर जाकर आध्यात्मिक सुख और शांति मिलती है और उनके कारण ही भारत के पर्यटन उद्योग को संजीवनी मिलती है। लाखों ऐसे सैलानी मिलेंगे जिनको भारत के जंगल के साथ यहां कि बिखिरी जैव विविधिता से भी प्यार है।
दुनिया भर में पर्यटन उद्योग ऊंचाइयां छू रहा था कि अचानक कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी और सब कुछ थम गया। दुनिया के हर हिस्से और हर तबके पर इसका गहरा असर पड़ा। बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं चरमराने लगीं, चलती-फिरती जिंदगी थम गई। इसका सबसे ज्यादा असर पर्यटन क्षेत्र पर पड़ा। बंदिशों ने पर्यटन के पैरों में बेड़ियां डाल दीं। पर्यटन उद्योग से जुड़े करोड़ों लोगों को इसकी मार झेलनी पड़ी, जिससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा, लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं।
पूर्वोत्तर के राज्यों में सफर को आसान बनाने के लिए सरकार कनेक्टिविटी पर फोकस कर रही है जिससे वहां पर्यटन उद्योग तेजी से फल-फूल रहा है, वहीं धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर का दीदार करने साल 2022 में 1 करोड़ 80 लाख सैलानी सैलानी पहुंचे जो एक रिकॉर्ड है, वहीं बाबा विश्वनाथ की नगरी बनारस में काशी कॉरिडोर बनने के बाद से अबतक 11 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। इसी तरह महाकाल कॉरिडोर बनने के बाद अब वहां एक दिन में 10 लाख से अधिक पर्यटक भोलेनाथ का दर्शन कर सकते हैं।
सरकार की स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना जहां सैलानियों को आकर्षित कर रही है, वहीं पर्यटन सर्किट के माध्यम से भी इस उद्योग को नई गति मिलने की उम्मीद की जा रही है। पर्यटन उद्योग की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2024 तक भारत का पर्यटन उद्योग 42 अरब डालर तो 2025 तक इसके 45 अरब डालर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत अतुल्य है,अद्भुत है, यहां का खान-पान और सांस्कृतिक धरोहरों में इतना कुछ है जिसको हर कोई देखना और समझना चाहता है।