वाराणसी में होगा ‘युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन’, 500 प्रतिनिधि करेंगे नशामुक्त भारत पर मंथन
18 से 20 जुलाई तक तीन दिवसीय आयोजन, ‘काशी घोषणापत्र’ बनेगा राष्ट्रीय रोडमैप
वाराणसी (जनवार्ता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी पहल ‘नशामुक्त भारत’ को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए वाराणसी में 18 से 20 जुलाई तक ‘युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन’ का आयोजन किया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने इसकी घोषणा करते हुए बताया कि इस सम्मेलन में देशभर के 100 से अधिक आध्यात्मिक संगठनों की युवा इकाइयों से जुड़े 500 प्रतिनिधि भाग लेंगे।
तीन दिवसीय इस राष्ट्रीय आयोजन का उद्देश्य युवाओं को नशे की लत से दूर रखना, उन्हें आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जागरूक करना और वर्ष 2047 तक नशामुक्त भारत के निर्माण की ठोस रणनीति तैयार करना है। सम्मेलन की थीम “विकसित भारत के लिए नशामुक्त युवा” तय की गई है।
डॉ. मांडविया ने कहा कि भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। यह युवा शक्ति देश की सबसे बड़ी ताकत है, लेकिन नशा इस पीढ़ी को खोखला कर रहा है। इससे निपटने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में चार प्रमुख सत्र होंगे, जिनमें युवाओं पर नशे के प्रभाव, नशा तस्करी और इसके पीछे के नेटवर्क, सामाजिक अभियानों की भूमिका और ‘नशामुक्त भारत 2047’ के लिए कार्ययोजना व समाधान पर गहन चर्चा की जाएगी।
सम्मेलन के समापन पर ‘काशी घोषणापत्र’ का विमोचन किया जाएगा, जो नशामुक्त भारत की दिशा में राष्ट्रीय रोडमैप का कार्य करेगा। यह आयोजन गंगा घाटों के आध्यात्मिक वातावरण में किया जाएगा, जिससे चर्चा की गंभीरता और प्रभाव और अधिक गहरा होगा।
इस मौके पर डॉ. मांडविया ने यह भी घोषणा की कि 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर ‘माई भारत’ संगठन के स्वयंसेवक कारगिल पदयात्रा निकालेंगे। यह यात्रा ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ से भी जुड़ी होगी और इसके माध्यम से युवाओं में देशभक्ति और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का संदेश प्रसारित किया जाएगा।