UCC पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की क्या है सोच? पीएम मोदी के बयान के बाद एक्टिव हुआ संगठन
नई दिल्ली। देश में मुसलमानों के सबसे बड़े धार्मिक संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक बैठक कर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का विरोध जारी रखने का निर्णय लेते हुए कहा है कि वह इस सिलसिले में विधि आयोग के सामने अपनी दलीलों को और जोरदार ढंग से पेश करेगा। यह ऑनलाइन बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर पैरवी किये जाने के कुछ घंटों बाद हुई।
बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि बोर्ड की मंगलवार रात ऑनलाइन बैठक हुई जिसमें बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी समेत बोर्ड के विभिन्न पदाधिकारी और सदस्य शामिल हुए। उन्होंने कहा कि देर रात तक चली इस बैठक में मुख्यत: समान नागरिक संहिता के मसले पर बोर्ड के वकीलों द्वारा विधि आयोग के सामने रखी जाने वाली आपत्तियों के मसविदे पर विचार-विमर्श हुआ।
उन्होंने कहा कि यह एक आम बैठक थी और इसे प्रधानमंत्री द्वारा मंगलवार को भोपाल में यूसीसी को लेकर दिये गये बयान की प्रतिक्रिया के तौर पर पेश नहीं किया जाना चाहिये। मौलाना फरंगी महली ने बताया कि बैठक में यूसीसी का विरोध जारी रखने का फैसला किया गया और यह तय किया गया कि बोर्ड इस मामले में विधि आयोग के सामने अपनी दलीलों को और पुरजोर तरीके से रखेगा।
आयोग के सामने आपत्ति दाखिल करने की अंतिम तिथि 14 जुलाई है। उन्होंने कहा कि बोर्ड का मानना है कि भारत जैसे बहुसांस्कृतिक और विविध परम्पराओं वाले देश में सभी नागरिकों पर एक ही कानून नहीं थोपा जा सकता, यह न सिर्फ नागरिकों के धार्मिक अधिकारों का हनन है बल्कि यह लोकतंत्र की मूल भावना के भी खिलाफ है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में आयोजित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यक्रम में समान नागरिक संहिता की जोरदार वकालत करते हुए आरोप लगाया था कि इस संवेदनशील मुद्दे पर मुसलमानों को भड़काया जा रहा है। उन्होंने दलील दी थी कि दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? एक परिवार में दो कानून नहीं चल सकते।