शारदीय नवरात्रि में 9 दिन करें मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा,पूरी होगी हर मनोकामना
नई दिल्ली। हर साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस साल 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। शारदीय नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा होती है।
शारदीय नवरात्रि में करें दुर्गा पूजन
देवी के नौ स्वरूपों की होती है पूजा
देवी शैलपुत्री से लेकर मां सिद्धिदात्री की करें पूजा
अगर आप शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको मां के इन स्वरूपों की भी पूजा करनी चाहिए। इससे देवी प्रसन्न होकर आपकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। आइए जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि के दौरान आप दुर्गा मां के किन-किन रूपों की पूजा कर सकते हैं।
माता शैलपुत्री
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनका वाहन बैल है और यह दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल धारण करती हैं। नवरात्रि की शुरुआत में आप मां शैलपुत्री की पूजा जरूर करें।
माता ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमल होता है और दूसरे हाथ में कमंडल रहता है। इनकी विधिवत पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मां भक्तों पर कृपा बनाए रखती हैं।
देवी चंद्रघंटा
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की पूजा की जाती है। इनके मस्तक पर अर्ध चंद्र विराजमान है और यह हाथों में खड़क, त्रिशूल, गधा, धनुष बाण, कमल इत्यादि धारण करती हैं। चंद्रघंटा देवी की पूजा करने से मानसिक और आंतरिक शांति मिलती है।
माता कुष्मांडा
शारदीय नवरात्र के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है। देवी कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और इनकी सवारी सिंह (शेर) हैं। माता की सभी भुजाओं में चक्र, गदा, धनुष, कमंडल, धनुष बाण और कमल स्थापित है।
देवी स्कंदमाता
नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। माता की चार भुजाएं हैं, जिनमें उन्होंने अपने एक हाथ में पुत्र कार्तिकेय को पकड़ा है अन्य तीन हाथों में उन्होंने कमल का फूल, वरद मुद्रा और श्वेत कमल धारण किया है। देवी स्कंदमाता सिंह की सवारी करती है।
माता कात्यायनी
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनका रंग स्वर्ण के समान चमकीला है और चार भुजाएं हैं। उनके हाथों में अभय मुद्रा, वर मुद्रा, खड्ग और कमल का फूल सुसज्जित हैं। माता कात्यायनी सिंह की सवारी करती हैं। माना जाता है कि देवी की पूजा करने से धन, ऐश्वर्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माता कालरात्रि
नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं और चार भुजाएं हैं। माता अपने हाथों में खड्ग, लौह अस्त्र, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण करती हैं। इन्हें सभी प्रकार की आसुरी शक्तियों का विनाश करने के लिए जाना जाता है।
माता महागौरी
नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है। माता बैल की सवारी करती हैं और इनका रंग भी गौर अर्थात सफेद रंग का होता है। इनके वस्त्र भी सफेद रंग के होते हैं और इनकी चार भुजाएं हैं। चारों भुजाओं में माता महागौरी अभय मुद्रा, त्रिशूल, डमरू और वर मुद्रा धारण करती हैं।
मां सिद्धिदात्री
नवरात्र पर्व के नौवें और अंतिम दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माता की चार भुजाएं हैं जिनमें कमल, चक्र, गदा और शंख होता है। देवी सिद्धिदात्री सिंह की सवारी करती हैं। इनकी पूजा करने से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है।