4 साल के बच्चे की सेप्सिस से मौत, मां-बाप करते रहे गुजारिश,लेकिन डॉक्टर पर एडमिट न करने का आरोप
नई दिल्ली। चार साल के मासूम की सेप्सिस से मौत ने सबका दिल झकझोर कर रख दिया है। बच्चे के माता-पिता का आरोप है कि डॉक्टरों ने उनकी बार-बार की गुजारिश को नजरअंदाज कर दिया और समय रहते इलाज न मिलने की वजह से उनके बच्चे ने दम तोड़ दिया। यह मामला मेडिकल सेक् में लापरवाही की एक और दुखद मिसाल बनकर सामने आया है।
खबर के अनुसार, यह दुखद घटना तब घटी जब 4 साल के बच्चे को अचानक बुखार और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। माता-पिता बच्चे को तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां उन्होंने डॉक्टरों से बच्चे को भर्ती करने की अपील की, लेकिन डॉक्टरों ने इसे मामूली संक्रमण बताकर एडमिट करने से इनकार कर दिया।
माता-पिता का कहना है कि उन्होंने डॉक्टरों को बार-बार बताया कि बच्चे की हालत बिगड़ रही है, लेकिन उनकी बात को अनसुना कर दिया गया। अगले कुछ घंटों में बच्चे की हालत इतनी खराब हो गई कि उसे आईसीयू में ले जाना पड़ा। दुर्भाग्य से, इलाज शुरू होने से पहले ही बच्चे की मौत हो गई।
सेप्सिस क्या है?
सेप्सिस एक गंभीर संक्रमण है, जो शरीर में किसी भी जगह से शुरू हो सकता है और अगर समय पर इलाज न मिले तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। इसमें शरीर के इम्यून सिस्टिम को जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया देने लगती है, जिससे अंगों को नुकसान पहुंचता है और अंततः उनकी काम करने की क्षमता खत्म हो जाती है।
माता-पिता का दर्द
मृत बच्चे की मां ने रोते हुए कहा कि हमने डॉक्टरों से हाथ जोड़कर कहा कि हमारे बच्चे की हालत गंभीर है, लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी। अगर समय पर इलाज मिल जाता, तो शायद हमारा बेटा आज जिंदा होता।
डॉक्टरों का पक्ष
अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि डॉक्टरों ने बच्चे का पूरी तरह से निरीक्षण किया था और उसे गंभीर मामला नहीं समझा गया। हालांकि, अस्पताल ने इस दुखद घटना की जांच के लिए एक इंटरनल कमिटी गठित की है।
क्या है समाधान?
यह घटना हेल्थ सिस्टम में जागरूकता और सेंसिटिविटी की कमी को उजागर करती है। एक्सपर्ट का कहना है कि सेप्सिस के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर तुरंत इलाज शुरू करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, मरीजों और उनके परिजनों की बात को गंभीरता से सुनना भी हर डॉक्टर का कर्तव्य है।