महिला नागा साधु भी पुरुषों की तरह वस्त्र नहीं पहनती?बेहद कठिन होती है तपस्या

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नई दिल्ली। भारत को साधु संतों का देश का कहा जाता है। ये साधु संत कई तरह के होते हैं। इनमें से ही एक होते हैं नागा साधु। नागा साधुओं की जिन्दगी बेहद रहस्यमयी होती है। तन पर धुनी की राख,माथे पर तिलक और चेहरे पर अग्नि जैसी तेज आभा इन्हें बेहद अलग स्वरूप देती है। ये साधु अक्सर आम जन-जीवन से दूर एकांत में रहते हैं। वैसे तो ये साधु अक्सर शांत रहते हैं लेकिन अगर कोई इन्हें छेड़ दे तो फिर इनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। इन्हें शांत करना भी बेहद मुश्किल हो जाता है।

नागा साधु आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित विभिन्न अखाड़ों में से ऐसे साधु होते हैं जो हमेशा निवस्त्र रहते हैं। इन पर सर्दी,गर्मी या बरसात का कोई असर नहीं होता है। इनका जीवन इतना कठिन होता है कि चाहे कितनी भी गर्मी हो या सर्दी ये बिना कपड़ों के ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं। पुरुषों की तरह महिला नागा साधु भी होती हैं। ऐसे में कई बार हमारे मन में सवाल उठता है कि क्या महिला नागा साधु भी पुरुषों की तरह ही निर्वस्त्र रहती है। क्या वो भी उनकी तरह अपने शरीर पर धुनी लगाकर ही रहती हैं।

नागा साधु आम जन जीवन से अलग रहते हैं। इसकी वजह से अक्सर ये कम ही दिखाई देते हैं। बहुत कम ऐसे अवसर होते हैं जब नागा साधुओं को देखा जा सकता है। ये साधु कुंभ के मेले या फिर किसी बड़े धार्मिक कार्यक्रम के दौरान ही दिखाई देते हैं। इस दौरान इनके साथ महिला नागा साधुओं को भी देखा जा सकता है।

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निर्वस्त्र रहती हैं महिला नागा साधु?
नागा साधुओं की तरह महिला नागा साधु भी कठिन तपस्या के साथ अपना जीवन व्यतीत करते हैं और हमेशा ईश्वर की भक्ति में लीन रहती हैं, लेकिन महिला नागा साधु पुरुषों की तरह निर्वस्त्र नहीं रहती हैं। महिला नागा साधु अपने तन पर हमेशा एक गेरुआं वस्त्र धारण करती हैं। महिला नागा साधु सिर्फ एक ही वस्त्र पहन सकती हैं और ये वस्त्र सिला हुआ नहीं होता है। इस वस्त्र को गंती कहा जाता है। इसके साथ ही वो हमेशा माथे पर तिलक धारण करती हैं। आश्रम की अन्य साध्वियां इन्हें माता कहकर बुलाती हैं।

कठिन परीक्षा के बाद बनती हैं महिला नागा साधु
महिला नागा साधु बनने इन्हें कठोर परीक्षा से होकर गुजरना होता है। इन्हें 6-12 साल तक कठोर ब्रह्मचर्य का पालन जीवन का पालन करना होता है। इसके बाद जब ये पूरी तरह खुद को भगवान के चरणों में सपर्पित कर देती हैं। जब गुरू को लगता है कि अब वो महिला नागा साधु बनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं तो वो उन्हें अनुमति देते हैं। इसके बाद उन्हें खुद अपने हाथों से जीते जी पिंडदान करना होता है। इसके बाद उनके सिर का मुंडन किया जाता है और फिर स्नान के बाद पूरी विधि विधान के साथ इन्हें नागा साधु बनाया जाता है।

आसान नहीं है महिला नागा साधु का जीवन
महिला नागा साधु बनने के बाद इनका पूरा जीवन ईश्वर को समर्पित हो जाता है। ये हमेशा ईश्वर की भक्ति में लीन रहती हैं,इनकी सुबह ईश्वर की उपासना से शुरू होती है और दिनभर इन्हें भगवान की भक्ति करनी होती है। सुबह जागने से लेकर रात तक ये पूजा-पाठ करती रहती हैं। महिला नागा साधुओं को अन्य साध्वियां माता कहकर बुलाती है। इसके अलावा इन्हें नागिन,अवधूतानी कहकर भी संबोधित किया जाता है।

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