इसलिए हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है गुड़ी पड़वा पर्व, जानिए इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा

इसलिए हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है गुड़ी पड़वा पर्व, जानिए इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा
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नई दिल्ली | चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिन्दू नववर्ष का शुभारंभ हो जाता है। साथ ही इस विशेष दिन पर महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बता दें कि गुड़ी का अर्थ विजय पताका है और इस दिन सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हुए घरों में विजय पताका फहराया जाता है। महाराष्ट्र सहित इस पर्व को कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष गुड़ी पड़वा पर्व 22 मार्च 2023, बुधवार (Gudi Padwa 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस दिन से चैत्र नवरात्रि का भी शुभारंभ हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ब्रह्मा जी की उपासना करने से साधकों को विशेष लाभ मिलता है और उनकी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं कि कैसे हुई थी गुड़ी पड़वा पर्व की शुरुआत।

गुड़ी पड़वा पौराणिक कथा (Gudi Padwa 2023 Katha in Hindi)
पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग में बाली नामक राजा किष्किन्धा पर शासन करता था। जब भगवान श्री राम लंकापति रावण की कैद से माता सीता को मुक्त कराने जा रहे थे, तब उनकी मुलाकात बाली के सगे भाई सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने श्री राम को अपने भाई के आतंक और कुशासन के विषय में बताया और अपना राज्य वापस मिलने पर उनकी सहायता करने का वचन दिया। तब श्री राम ने बाली का वध कर, उसके आतंक से सुग्रीव और समस्त प्रजा को मुक्त कराया। उस दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि थी। यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से दक्षिण भारत में घरों में विजय पताका फहराया जाता है और गुड़ी पड़वा पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

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गुड़ी पड़वा पर्व से जुड़ी कुछ अन्य मान्यताएं
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा पर्व से जुड़ी एक कथा यह भी प्रचलित है की प्रतिपदा तिथि के दिन ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी घुसपैठियों को पराजित किया था और शिवाजी महाराज की सेना ने विजय ध्वज फहराया था। तभी से इस दिन को विजय पर्व के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा के दिन चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो जाता है और इस दिन हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी होती है। जिस वजह से इस दिन सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है और नए साल का स्वागत धूमधाम से किया जाता है।


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