छाया नंदन शनिदेव की साढ़ेसाती इस राशि से हुई खत्म

छाया नंदन शनिदेव की साढ़ेसाती इस राशि से हुई खत्म
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नई दिल्ली। छाया नंदन सूर्य पुत्र शनिदेव का गोचरीय दृष्टि से परिवर्तन अपनी पहली राशि मकर से दूसरी राशि कुंभ में वैशाख कृष्ण पक्ष त्रयोदशी 28 अप्रैल 2022 दिन गुरुवार को हो गया है। शनिदेव का परिवर्तन व्यापक प्रभाव छोड़ेगा । कुंभ राशि में शनि देव अपने संपूर्ण फल प्रदान करने में सफल रहेंगे। जितने लोगों की जन्म कुंडली में शुभ फल कारक होंगे। उनको शुभ फल की प्राप्ति खूब करेंगे साथ ही जितने लोगों की कुंडली में नकारात्मक फल के रूप में विद्यमान होंगे उनके लिए ज्यादा नकारात्मक भी हो जाएंगे। ऐसे में धनु एवं मकर लग्न अथवा राशि वालों पर किस प्रकार का असर डालेंगे इसको हम विस्तृत रूप से जानेंगे।

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धनु :- धनु लग्न अथवा धनु राशि वालों के लिए शनि देव धन भाव एवं पराक्रम भाव के कारक होकर पराक्रम भाव में स्वगृही गोचर करने जा रहे हैं। ऐसे में धनु लग्न अथवा धनु राशि वालों के लिए पराक्रम में वृद्धि करेंगे। सामाजिक पद प्रतिष्ठा में वृद्धि होगा। राजनीति के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी उत्तम फल प्रदान करेंगे। वाणी व्यवसाय सेल्स मार्केट प्राइवेट सेक्टर से जुड़े लोगों के लिए भी सकारात्मक फल प्रदान करने जा रहे हैं। शोध संस्थान से जुड़ कर कार्य करने वाले लोगों के लिए भी यह समय सकारात्मक प्रदायक के रूप में साबित होगा। भाई बंधुओं मित्रों का सहयोग सानिध्य भी खूब प्राप्त होगा।अचानक में किसी मित्र का सहयोग मिल जाने से सकारात्मक प्रगति हो सकता। यहां बैठे शनि देव की तीसरी दृष्टि पंचम भाव अर्थात संतान व विद्या के भाव पर होगा । ऐसे में धनु लग्न अथवा धनु राशि वालों के लिए संतान पक्ष से चिंता की स्थिति । स्वास्थ्य के कारण मन अप्रसन्न रहेगा । अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी समय तनावपूर्ण हो सकता है। डिग्री आदि से संबंधित कार्यों में व्यवधान अवश्य दिखाई देगा । फल स्वरूप कुंडली के अनुसार पंचमेश मंगल को मजबूत करके शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है । शनिदेव की अगली दृष्टि सप्तम दृष्टि भाग्य भाव पर होगा ऐसे में भाग्य में अवरोध की स्थिति । पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता के स्थिति । अचानक कार्यों में अवरोध या तनाव का वातावरण भी उत्पन्न हो सकता है । सरकारी क्षेत्र में कार्यरत लोगों के लिए अपने से वरिष्ठ अधिकारी से तनाव हो सकता है। प्राइवेट क्षेत्र में जुड़े लोगों के लिए भी कार्यस्थल पर विवाद या तनाव का वातावरण उत्पन्न हो सकता है। शनिदेव की दसवीं दृष्टि वृश्चिक राशि अर्थात खर्च के भाव पर होगा । ऐसे में अचानक यात्राओं पर खर्च । व्यापारिक यात्राओं पर खर्च। धार्मिक यात्राओं पर खर्च के साथ-साथ पर्यटन पर भी खर्च बढ़ सकता है। इस समय में आंखों की समस्या भी परेशान कर सकता है। इस प्रकार देखा जाए तो धनु लग्न अथवा धनु राशि के लिए शनि देव का गोचर सामान्य फल प्रदायक के रूप में साबित होगा। मूल कुंडली के अनुसार शनिदेव का उपाय करना सामाजिक पद प्रतिष्ठा पराक्रम में वृद्धि कराएगा।

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मकर:-मकर लग्न अथवा मकर राशि वालों के लिए शनिदेव का यह गोचरीय परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन के रूप में साबित होगा। लग्नेश होने के कारण परम राजयोग कारक एवं परम शुभ कारक ग्रह के रूप में माने जाते हैं। ऐसे में इनका धन भाव पर स्वगृही गोचर निश्चित तौर पर सकारात्मक फल प्रदायक के रूप में साबित होगा। धन भाव पर संचरण होने से धन संबंधित कार्यों में तीव्रता के साथ वृद्धि। पारिवारिक कार्यों में तीव्रता के साथ वृद्धि । वाणिज्य ,व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़े लोगों को धन लाभ की स्थिति । वकालत , अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी शनि देव का यह परिवर्तन बड़ा लाभ करा सकता है। यदि मूल कुंडली में स्थिति गड़बड़ नहीं है अर्थात अकारक भाव में विद्यमान नहीं है तो यह गोचरीय परिवर्तन धन की दृष्टि से बड़ा परिवर्तन होगा। परंतु वाणी पर संयम बरतना आवश्यक होगा । शनिदेव की तृतीय नीच दृष्टि मेष राशि पर अर्थात सुख भाव पर होगा । ऐसे में सीने की तकलीफ कफ़, सर्दी , एलर्जी , घबराहट माता को मानसिक व शारीरिक कष्ट के कारण तनाव में वृद्धि हो सकता है । वाहन एवं घर से संबंधित कार्यों में देरी या अवरोध से तनाव का वातावरण भी उत्पन्न हो सकता है। घर से दूर जाने का भी संयोग बन सकता है। शनि देव की अगले दृष्टि सप्तम दृष्टि अष्टम भाव पर होगा । फलस्वरूप कमर में चोट या दर्द नसों का खिंचाव , पेट व पैर की समस्या के कारण तनाव हो सकता है। अतः इस परिवर्तन में तेज गति से वाहन ना चलाएं । साथ ही साथ स्वास्थ्य पर विशेष तौर पर ध्यान दें । शनिदेव की अगली दृष्टि वृश्चिक राशि लाभ भाव पर होगा। ऐसे में लाभ के साधनों में परिवर्तन एवं विस्तार की स्थिति बनेगा । अचानक धन लाभ के स्रोतों में वृद्धि व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि या विस्तार का संयोग बनेगा । इस प्रकार मकर लग्न अथवा राशि वालों के लिए शनि का परिवर्तन सकारात्मक फल प्रदायक ही होगा ।शुभताओं में और वृद्धि के लिए मूल कुंडली के अनुसार नीलम रत्न धारण करें एवं शनि का अन्य उपाय

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मकर:-मकर लग्न अथवा मकर राशि वालों के लिए शनिदेव का यह गोचरीय परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन के रूप में साबित होगा। लग्नेश होने के कारण परम राजयोग कारक एवं परम शुभ कारक ग्रह के रूप में माने जाते हैं। ऐसे में इनका धन भाव पर स्वगृही गोचर निश्चित तौर पर सकारात्मक फल प्रदायक के रूप में साबित होगा। धन भाव पर संचरण होने से धन संबंधित कार्यों में तीव्रता के साथ वृद्धि। पारिवारिक कार्यों में तीव्रता के साथ वृद्धि । वाणिज्य ,व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़े लोगों को धन लाभ की स्थिति । वकालत , अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी शनि देव का यह परिवर्तन बड़ा लाभ करा सकता है। यदि मूल कुंडली में स्थिति गड़बड़ नहीं है अर्थात अकारक भाव में विद्यमान नहीं है तो यह गोचरीय परिवर्तन धन की दृष्टि से बड़ा परिवर्तन होगा। परंतु वाणी पर संयम बरतना आवश्यक होगा । शनिदेव की तृतीय नीच दृष्टि मेष राशि पर अर्थात सुख भाव पर होगा । ऐसे में सीने की तकलीफ कफ़, सर्दी , एलर्जी , घबराहट माता को मानसिक व शारीरिक कष्ट के कारण तनाव में वृद्धि हो सकता है । वाहन एवं घर से संबंधित कार्यों में देरी या अवरोध से तनाव का वातावरण भी उत्पन्न हो सकता है। घर से दूर जाने का भी संयोग बन सकता है। शनि देव की अगले दृष्टि सप्तम दृष्टि अष्टम भाव पर होगा । फलस्वरूप कमर में चोट या दर्द नसों का खिंचाव , पेट व पैर की समस्या के कारण तनाव हो सकता है। अतः इस परिवर्तन में तेज गति से वाहन ना चलाएं । साथ ही साथ स्वास्थ्य पर विशेष तौर पर ध्यान दें । शनिदेव की अगली दृष्टि वृश्चिक राशि लाभ भाव पर होगा। ऐसे में लाभ के साधनों में परिवर्तन एवं विस्तार की स्थिति बनेगा । अचानक धन लाभ के स्रोतों में वृद्धि व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि या विस्तार का संयोग बनेगा । इस प्रकार मकर लग्न अथवा राशि वालों के लिए शनि का परिवर्तन सकारात्मक फल प्रदायक ही होगा ।शुभताओं में और वृद्धि के लिए मूल कुंडली के अनुसार नीलम रत्न धारण करें एवं शनि का अन्य उपाय

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