इस साल 4300 करोड़पति भारत छोड़ सकते हैं,पर बसना कहां चाहते हैं?
नई दिल्ली। इंटरनेशनल इनवेस्टमेंट माइग्रेशन एडवाइजरी फर्म हेनली एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट से साफ हुआ है कि इस साल करीब 4300 करोड़पति के देश छोड़कर जाने की उम्मीद है। यह काफी चिंताजनक मामला है। खास बात यह है कि देश में हर साल कई नए हाई-नेट-वर्थ वाले व्यक्ति सामने आते हैं। लेकिन हर साल देश छोड़कर जाने वालों की संख्या भी कम नहीं है। ये लोग देश में अपना बिजनेस करने के साथ ही दूसरा घर बनाए रखते हैं। इससे लोकल इकोनॉमी को मदद मिलती है।
पैसा बाहर जाना कोई खास चिंता की बात नहीं
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन करोड़पतियों के जरिये पैसा बाहर जाना कोई खास चिंता की बात नहीं है, क्योंकि भारत से जितने करोड़पति लोग देश छोड़कर जा रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा नए करोड़पति देश में बन रहे हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अधिकांश करोड़पति जो भारत छोड़ते हैं वे अपना बिजनेस और दूसरा घर यहीं बनाए रखते हैं, जो कि एक पॉजिटिव साइन है। भले ही कुछ करोड़पति देश छोड़कर जा रहे हैं फिर भी आंकड़ों से साफ हो रहा है कि देश का इकोनॉमिक और बिजनेस का माहौल अभी भी अमीर लोगों के लिए आकर्षक बना हुआ है।
यूएई और अमेरिका जाने वालों की संख्या ज्यादा
रिपोर्ट में यह जिक्र किया गया है कि बहुत से करोड़पति विदेश चले जाने के बाद भी अपने यहां छोड़ी गई संपत्ति और निवेश के जरिये देश की अर्थव्यवस्था को मदद करते रहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगातार बड़ी संख्या में करोड़पति कम हो रहे हैं। इनका फोकस संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की तरफ है। दुनियाभर के करीब 128,000 करोड़पतियों के 2024 में किसी नए देश में बसने का अनुमान है, जिनमें से सबसे ज्यादा लोग यूएई और अमेरिका जाना चाहते हैं। अमीर लोगों का देश से पलायन अहम है क्योंकि यह अक्सर देश की व्यापक आर्थिक स्थिति और करोड़पतियों को खोने वाले देश में संभावित समस्याओं को दर्शाता है।
ऐसे करोड़पति जो भारत छोड़कर जा रहे हैं, उनकी बनाई हुई कंपनियों का फायदा भारतीयों को भी मिलता है। उदाहरण के तौर पर माइक्रोसॉफ्ट, ऐपल और टेस्ला जैसी कंपनियों की शुरुआत करोड़पतियों ने की थी। इन कंपनियों ने हजारों लोगों को अच्छी सैलरी वाली नौकरियां दी हैं। इससे यह साफ है कि करोड़पतियों द्वारा शुरू किए गए कारोबार का कितना बड़ा आर्थिक असर हो सकता है। करोड़पतियों के देश छोड़कर जाने की संख्या को किसी देश के इकोनॉमिक हेल्थ का अहम संकेतक माना जाता है।
रिपोर्ट में यह बताया गया कि यदि कोई देश बड़ी संख्या में करोड़पतियों को खो रहा है तो यह उस देश में किसी गंभीर समस्या के कारण हो रहा है। अमीर लोग अक्सर परेशानी आने पर सबसे पहले देश छोड़कर जाने वाले होते हैं। इसलिए इनका पलायन भविष्य के लिए भी नकारात्मक संकेत हो सकता है।