अष्टमी व्रत गुरुवार तथा दशहरा शनिवार को

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वाराणसी(जनवार्ता)।सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय,वाराणसी के ज्योतिष विभाग के सहायक आचार्य डॉ मधुसूदन मिश्र ने बताया कि नवरात्रि पर्व पर तिथियों को लेकर विभिन्न रूपों से लोगों में अनेकों भ्रांतियां उत्पन्न होती हैं जिसके निराकरण हेतु इस विश्वविद्यालय से पंचांग के अनुसार भ्रांतियां दूर करने का प्रयास किया गया है।
1- अष्टमी एवं नवमी का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को होग। निशापूजा 10 तारीख को ही रात्रि में निशीथ काल में व्याप्त अष्टमी में ही होगी।
2- 11 अक्टूबर 2024 को नवमी तिथि में हवन किया जाना चाहिए । कतिपय पंचांगों में नवमी प्रातः 7:30 के बाद है, कतिपय पंचांगों में 11:00 बजे के बाद। अतः 11 अक्टूबर कोप्रातः काल 7:30 के बाद अथवा मध्याह्न में हवन किया जा सकता है।
3- विजयादशमी पर्व तो निरापद रूप से 12 अक्टूबर को ही है। नवरात्र व्रत का पारण भी इसी दिन सूर्योदय के पश्चात् उचित है।
ऐसा मेरा अभिमत है। अन्य वैदिक विद्वान् एवं धर्मशास्त्र के विशेषज्ञों के मतों का भी संकलन अपेक्षित है।

ज्योतिष शास्त्र के आचार्य डॉ मधुसूदन मिश्र ने बताया कि इस 10 अक्टूबर को ही रात्रि पूजन निमित्त प्रातः काल से ही अष्टमी का व्रत किया जाए इस प्रकार के अभिमत के संदर्भ में ध्यातव्य है कि सूर्योदय से युक्त न होने के कारण वह व्रत अष्टमी व्रत नहीं कहलाएगा तथा अग्रिम 11 अक्टूबर क़ो अष्टमी का पारण सूर्योदय व्यापिनी अष्टमी में हो जाएगा जिससे विशेष विसंगति होगी। अतः ज्योतिष शास्त्र के सूर्य सिद्धांत के अनुसार 11 को ही सावन मान से अष्टमी का व्रत शास्त्रोचित है। पूजन देव निमित्तक है एवं व्रत मनुष्य निमित्तक, अतः रात्रि पूजन के हेतु में निराहार की अवस्था कोअष्टमी के व्रत की संज्ञा नहीं दी जा सकती। यदि रात्रि व्यापिनी से व्रत का निर्णय करेंगे तो नवरात्रि के प्रत्येक तिथि के व्रत निर्णय में विसंगति की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।

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