कंपकंपाती ठंड में आनंद अखाड़े का नगर प्रवेश,नागा बाबाओं को देखने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़े हजारों लोग

कंपकंपाती ठंड में आनंद अखाड़े का नगर प्रवेश,नागा बाबाओं को देखने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़े हजारों लोग
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लखनऊ। यूपी के प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ में साधु-संतों के अखाड़ों का छावनी प्रवेश जारी है। आज मंगलवार को तपोनिधि श्री आनंद अखाड़ा पंचायती ने भव्य तरीके से पेशवाई निकालकर अपनी छावनी में पहुंचे। इस दौरान लोग नागा संतों के मस्त-मलंग अंदाज को देखकर हैरान रह गए।

फूलों को ही बना लिया वस्त्र
छावनी प्रवेश में शामिल आनंद पंचायती अखाड़े के साधु-संतों की छटा देखते ही बन रही थी। कई नागा संतों ने फूलों की माला को अपना वस्त्र बना रखा था तो कुछ सहज नग्न भाव में थे।

ऊंटों पर नगाड़े बजाते दिखे साधु
छावनी प्रवेश कर रहे कई संत ऊंटों और घोड़ों पर बैठे हुए थे। वे ऊंटों पर नगाड़े बजाते हुए आगे बढ़ रहे थे। उनकी तरह ही ऊंटों का श्रंगार लोगों का ध्यान सहज ही अपनी ओर खींच रहा था।

दर्शनों के लिए सड़कों पर उतरे लोग
कई साधु घोड़ों पर त्रिशूल लेकर चल रहे थे। मालाओं से लदे हुए अखाड़ों के नागा साधुओं की झलक पाने के लिए प्रयागराज की सड़कों पर लोगों की लंबी कतारें लगी रहीं।

संतों पर नहीं दिखा सर्दी का प्रभाव
जहां भीषण ठंड में लोग सर्दी से कांप रहे हैं। वहीं छावनी प्रवेश में शामिल साधु-संतों का तेज इतना था कि उन पर किसी तरह का मौसमी प्रभाव नहीं पड़ रहा था। वे सहज भाव से लोगों को आशीर्वाद देते हुए चल रहे थे।

साधुओं का संत देखते ही बन रहा था
तपोनिधि पंचायती आनंद अखाड़े में एक बुजुर्ग नागा साधु घोड़े पर बैठकर नगाड़ा बजाता हुआ चल रहा था। गले और सिर पर फूलों की माला धारण किए महात्मा का तेज देखते ही बन रहा था।

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पारंपरिक हथियार हाथ में लिए थे साधु
प्रयागराज की विभिन्न गलियों से होते हुए निकली पेशवाई में कई नागा संतों के हाथों में त्रिशूल, फरसा जैसे पारंपरिक हथियार भी थे। जिनके जरिए उन्होंने कई बार मुगलों और अंग्रेजों से जंग की थी।

पंटून पुल पार करके छावनी में पहुंचे
सर्द दिन में आनंद अखाड़े के साधु अनुशासित तरीके से नगर प्रवेश करते हुए संगम स्थान पार करके पंटून पुल पर पहुंचे और फिर उसे पार करके अपनी छावनी में प्रवेश किया।

अपने इष्ट देव की डोली उठाए अखाड़े के साधु
इस दौरान नागा संतों का समूह अपने इष्ट देव की डोली को पूरी श्रद्धा के साथ अपने कंधों पर लेकर आगे बढ़ रहा था। सनातन के प्रति संतों का यह उत्साह और आस्था देकर हर भक्ति से उनके आगे नमन कर रहा था।


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