बिजली कर्मियों ने तिरंगा लेकर किया निजीकरण का विरोध
वाराणसी (जनवार्ता): विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस के बिजली कर्मियों ने शुक्रवार तिरंगा थामकर बिजली के निजीकरण के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। साथ ही, काकोरी क्रांति के अमर शहीदों पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी को श्रद्धांजलि अर्पित की। बिजली कर्मियों ने शहीद स्मारक तक रैली निकाली और “जिंदाबाद” के नारे लगाए।
सभा में वक्ताओं ने कहा कि बिजली का निजीकरण रोकना शहीदों के सपनों का भारत बनाने के लिए जरूरी है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि विजन डॉक्यूमेंट 2047 में बिजली की अहम भूमिका को देखते हुए इसे सार्वजनिक क्षेत्र में रखा जाए। वक्ताओं ने बताया कि पिछले आठ वर्षों में बिजली कर्मियों के प्रयासों से उत्तर प्रदेश में एटीएंडसी हानियां 41% से घटकर 15% तक पहुंची हैं, जो राष्ट्रीय मानक के अनुरूप है। उत्तर प्रदेश अब देश में सबसे अधिक उपभोक्ताओं को सर्वाधिक बिजली आपूर्ति करने वाला राज्य बन गया है, जो सार्वजनिक क्षेत्र की उपलब्धि है।
“भारत छोड़ो आंदोलन” की पूर्व संध्या पर बिजली कर्मियों ने “कार्पोरेट घरानों – सार्वजनिक क्षेत्र में पावर सेक्टर छोड़ो” अभियान शुरू किया। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण से बिजली किसानों, गरीब और मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं के लिए महंगी हो जाएगी, जिससे प्रदेश “लालटेन युग” में चला जाएगा।
प्रदेश के सभी जिलों और परियोजनाओं में बिजली कर्मियों ने तिरंगा सभा और रैलियां निकालीं। 15 अगस्त तक चलने वाले इस अभियान में उपभोक्ताओं को निजीकरण के नुकसान के बारे में जागरूक किया जाएगा। कार्यक्रम को ई. एस. के. सिंह, ई. नीरज बिंद, राजेंद्र सिंह, अंकुर पाण्डेय, विवेक, धर्मेंद्र यादव, देवेंद्र सिंह, रामाशीष कुमार, विपिन सिंह, योगेंद्र, के. पी. बैजू, पंकज सिंह, पंकज यादव, जितेंद्र सिंह, रवि कुमार, मो. हारिश, अरुण कुमार, रमेश सिंह आदि ने सफल बनाया।