टेंट सिटी : 34.25 लाख की वसूली में लापरवाही
एनजीटी ने यूपी सरकार से मांगा जवाब
वाराणसी (जनवार्ता)। गंगा किनारे टेंट सिटी से पर्यावरण को हुए नुकसान के मामले में जुर्माना वसूलने में देरी को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मंगलवार को सुनवाई की। अधिकरण ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि लल्लू जी एंड संस तथा प्रवेग कम्युनिकेशन इंडिया लिमिटेड से अब तक 34.25 लाख रुपये का जुर्माना क्यों नहीं वसूला गया। इस पर राज्य सरकार ने अतिरिक्त समय की मांग की, जिसे स्वीकार करते हुए अधिकरण ने अगली सुनवाई की तिथि 8 अक्टूबर तय की।
उल्लेखनीय है कि एनजीटी ने 30 अक्टूबर 2023 को दोनों कंपनियों पर पर्यावरणीय क्षति के आरोप में जुर्माना लगाने का निर्देश दिया था। इसके बाद यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने 23 नवंबर 2023 को दोनों कंपनियों पर 17.12–17.12 लाख रुपये का जुर्माना लगाकर कुल 34.25 लाख रुपये की वसूली निर्धारित की।
लल्लू जी एंड संस ने कटेसर स्थित ‘निरान’ टेंट सिटी में 120 टेंट लगाए थे, जो साढ़े चार महीने तक संचालित रही, जबकि प्रवेग कम्युनिकेशन ने 140 टेंट लगाए थे।
सुनवाई के दौरान याची तुषार गोस्वामी की ओर से अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने तर्क दिया कि एक वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद जुर्माना वसूला नहीं गया है। साथ ही उन्होंने यह प्रश्न भी उठाया कि क्या कछुआ सेंचुरी क्षेत्र से जुड़े पर्यावरणीय मामलों में एनजीटी को सुनवाई का अधिकार प्राप्त है।
चीयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल और ईश्वर सिंह की तीन सदस्यीय पीठ ने दोनों बिंदुओं पर सुनवाई करते हुए वसूली की स्थिति पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए।
उधर, वाराणसी डीएम की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि टेंट सिटी मौजा कटेसर क्षेत्र में लगी थी, जो प्रशासनिक रूप से चंदौली जिले में आता है। ऐसे में वसूली की जिम्मेदारी चंदौली जिला प्रशासन की बनती है। इस संबंध में वाराणसी डीएम द्वारा 26 जुलाई को चंदौली डीएम को पत्र भी भेजा गया था।
याची के अधिवक्ता ने मंगलवार को पुनः चंदौली डीएम को पत्र भेजकर यूपीपीसीबी के आदेश के अनुसार समयबद्ध रूप से जुर्माने की वसूली सुनिश्चित कराने की अपील की है।