सपत्नीक पंचतंत्र में विलीन हुए कुलपति प्रोफेसर हरे राम त्रिपाठी
हरिश्चंद्र घाट पर हुआ अंतिम संस्कार
वाराणसी (जनवार्ता) । हरिश्चंद्र घाट पर लोगों की आंखें उसे समय नम हो गई जब संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं कवि कुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक, नागपुर के कुलपति प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी एवं उनकी पत्नी श्रीमती बादामी देवी की चिता में उनके पुत्र उनके बड़े पुत्र राजगोपाल त्रिपाठी ने मुखाग्ने दी। लोगों के आंखों से आंसू निकल आए की जिससे कल मुलाकात हुई थी आज वह अचानक छोड़कर चला गया । डॉक्टर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी की शनिवार को देवरिया जाते समय दोहरीघाट में कार एक्सीडेंट में पत्नी बादामी देवी के साथ निधन हो गया था।। आज सुबह उनका अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर किया गया ।
प्रातः 7:30 बजे नगवा स्थित पद्मभूषण प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी के आवास से प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी और उनकी पत्नी बादामी देवी की शव यात्रा निकली। कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव, प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी के बड़े पुत्र राजगोपाल त्रिपाठी, छोटे पुत्र विनय गोपाल त्रिपाठी, वशिष्ठ त्रिपाठी के पुत्र शुकदेव त्रिपाठी, ट्रस्ट श्री जगन्नाथ जी के सचिव शैलेश त्रिपाठी आदि ने कंधा देकर शव को हरिश्चंद्र घाट लेकर गए। हरिश्चंद्र घाट पर चीता सजाकर दोनों शवो कों चिता पर रखा गया। मुखाग्निक उनके बड़े पुत्र राजगोपाल त्रिपाठी ने दिया। प्रोफेसर हरे राम त्रिपाठी अपने पीछे दो पुत्रों और तीन पुत्रियो का भरा पूरा परिवार छोड़ कर गए हैं।
उनके अंतिम संस्कार व शव यात्रा में संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संयोजक जयप्रकाश जी, पद्म विभूषण प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा,शुकदेव त्रिपाठी, विधायक सौरभ श्रीवास्तव, प्रोफेसर राम पूजन पांडे, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा, काशीधर्म पीठाधीश्वर जगतगुरु स्वामीनारायणनंद तीर्थ के उत्तराधिकारी शिष्य स्वामी लखन स्वरूप ब्रह्मचारी, रामेश्वर मठ के प्रबंधक वरुणेश चंद दीक्षित, वेंकटरमन घनपाठी, देवेश त्रिपाठी,समाजसेवी रामयश मिश्र, प्रोफेसर सुधाकर मिश्र, राजेंद्र द्विवेदी डॉ उपेंद्र कुमार त्रिपाठी, प्रोफेसर बृजभूषण पांडे, अरुण द्विवेदी मिठाई लाल यादव सहित काशी हिंदू विश्वविद्यालय संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अध्यापक, काशी के मठ मंदिरि महंत अदि शामिल थे।