‘आखिरी वक्त में पति का चेहरा भी नहीं देख पाई’
पूर्व जिला पंचायत सदस्य रणधीर यादव की हत्या, लाश को 8 टुकड़ों में काटकर रेलवे ट्रैक पर फेंका
प्रयागराज (जनवार्ता)। “मैं आखिरी वक्त में अपने पति का चेहरा तक नहीं देख पाई। छह दिन से उनकी तलाश में दर-दर भटक रही थी… और पुलिस उन्हें ढूंढती ही रह गई।” ये आंसुओं से भरे शब्द हैं पूर्व जिला पंचायत सदस्य रणधीर यादव की पत्नी बबली यादव के, जिनके पति की बेरहमी से हत्या कर दी गई।
भाजपा नेता रणधीर यादव (40) की लाश 8 टुकड़ों में पूरामुफ्ती क्षेत्र के रेलवे ट्रैक पर मिली थी। पुलिस ने उसे अज्ञात मानकर पंचनामा किया और 72 घंटे बाद डिस्पोज ऑफ कर दिया। इसी बीच पुलिस की टीमें 27 अगस्त तक चित्रकूट में रणधीर की तलाश करती रहीं।
दोस्त ने ही किया कत्ल, अवैध संबंध बने वजह
गुरुवार को पुलिस ने रणधीर के दोस्त राम सिंह को पकड़ा तो पूरा राज खुल गया। राम सिंह ने स्वीकार किया कि 22 अगस्त की रात उसने और उसके साथियों ने रणधीर की हत्या कर दी थी। इसके बाद शव को टुकड़ों में काटकर रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया, ताकि शिनाख्त न हो सके।
डीसीपी गंगानगर कुलदीप गुणावत ने बताया कि हत्या की वजह डॉ. उदय की पत्नी से रणधीर के अवैध संबंध थे। इसी रंजिश में साजिश रची गई। इस मामले में राम सिंह यादव और डॉ. उदय की सास लीला यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि डॉ. उदय फरार है।
ऐसे दी गई वारदात को अंजाम
आरोपियों ने स्कॉर्पियो गाड़ी में पहले रणधीर के सिर पर वार किया, फिर गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को ट्रेन के आगे रख दिया गया। 24 अगस्त को रणधीर की स्कॉर्पियो चित्रकूट के जंगलों में बरामद हुई थी।
पत्नी ने जताया शक, दर्ज कराया केस
रणधीर यादव 22 अगस्त की रात करीब 9 बजे अपने भांजे दीपेश के साथ थे। घर लौटने की बात कहकर निकले, लेकिन वापस नहीं आए। मोबाइल भी बंद मिला। अगले दिन पत्नी बबली यादव ने नवाबगंज थाने में अपहरण की तहरीर दी और राम सिंह व उदय पर शक जताया।
चार साल पहले आए थे सुर्खियों में
रणधीर यादव पहले सपा से जिला पंचायत सदस्य रहे, बाद में भाजपा में शामिल हो गए। करीब चार साल पहले नवाबगंज के कछारी इलाके में आगजनी के दौरान भी वह चर्चा में आए थे।
पत्नी का दर्द: “राम सिंह से पति छिपाकर करते थे बातें”
बबली यादव ने बताया कि रणधीर, राम सिंह और उदय में गहरी दोस्ती थी। लेकिन जब भी राम सिंह घर आता, रणधीर उनसे छिपकर बातें करते। “मेरे सामने कभी खुलकर बात नहीं करते थे। उन्हें क्या राज था, ये मुझे कभी नहीं पता चला।”