लोलार्क कुंड में उमड़ा आस्था का सैलाब

लोलार्क कुंड में उमड़ा आस्था का सैलाब

संतान सुख के लिए हजारों ने लगाई डुबकी

वाराणसी (जनवार्ता): काशी के पवित्र लोलार्क कुंड में शुक्रवार को लोलार्क षष्ठी के अवसर पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर देशभर से आए हजारों श्रद्धालुओं ने कुंड में स्नान कर संतान सुख की कामना की। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस कुंड में स्नान से निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है।

लोलार्क कुंड, जिसे सूर्य कुंड भी कहा जाता है, काशी के प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है। मान्यता है कि भगवान सूर्य की तपस्या से इस कुंड का निर्माण हुआ। 9वीं शताब्दी में गढ़वाल नरेश और उनकी सात रानियों को यहां स्नान के बाद संतान सुख प्राप्त हुआ था, जिसके बाद यह कुंड प्रसिद्ध हो गया।

शुक्रवार को स्नान की शुरुआत 51 डमरुओं की गूंज के साथ आरती से हुई। श्रद्धालुओं ने चरणबद्ध तरीके से स्नान किया और लोलार्केश्वर महादेव की पूजा कर फल या सब्जी का दान किया। परंपरा के अनुसार, मनोकामना पूर्ण होने तक दान किए गए फल का सेवन नहीं किया जाता। कई श्रद्धालुओं ने अपने भीगे कपड़े कुंड पर छोड़ दिए।

जिला प्रशासन ने सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए। 5 किलोमीटर लंबी बैरिकेडिंग, 11 सहायक पुलिस आयुक्त, 1200 पुलिस जवान, और NDRF की टीमें तैनात की गईं। ड्रोन से निगरानी के साथ-साथ पेयजल और बिजली की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई।

लोलार्क कुंड, जो 50 फीट गहरा और 15 फीट चौड़ा है, काशी के लक्खा मेले का हिस्सा है। इस वर्ष 4 से 5 लाख श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान है। बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, बंगाल, और नेपाल से आए श्रद्धालुओं ने इस पवित्र आयोजन में हिस्सा लिया।

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मंदिर के प्रधान पुजारी रमेश कुमार पांडेय ने बताया कि लोलार्क षष्ठी का यह पर्व काशी की सनातन परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जो हर साल लाखों लोगों को जोड़ता है।

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