सूखा राहत अनुदान के 41.50 लाख रुपये गबन मामले में पूर्व बैंक मैनेजर गिरफ्तार
वाराणसी (जनवार्ता) । उत्तर प्रदेश के जनपद सोनभद्र में 17 साल पुराने एक बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ है। सूखा राहत योजना के तहत शासन से प्राप्त 41.50 लाख रुपये की सरकारी धनराशि के गबन के मामले में वांछित आरोपी और पूर्व इलाहाबाद बैंक मैनेजर विजेन्द्र चौधरी को ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) वाराणसी की टीम ने बिहार के पटना से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी वर्तमान में इंडियन बैंक में सीनियर मैनेजर के पद पर तैनात है। गिरफ्तारी के बाद उसे कोर्ट में पेश करने हेतु टीम वाराणसी रवाना हो चुकी है।
यह मामला वित्तीय वर्ष 2007-2008 का है, जब तहसील घोरावल (सोनभद्र) में सूखा राहत अनुदान योजना के तहत किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में धनराशि हस्तांतरित की जानी थी। लेकिन अभियुक्तों ने साठगांठ कर तहसीलदार के फर्जी हस्ताक्षरों का सहारा लिया और 16 चेकों के माध्यम से कुल 41.50 लाख रुपये अपने नाम से आदेश वाहक के रूप में निकाल लिए। इस धनराशि का पूरा गबन कर लिया गया, जिससे सैकड़ों किसान प्रभावित हुए।
थाना घोरावल में मुकदमा संख्या 123/2010 के तहत धारा 409, 419, 420, 467, 468, 471 तथा 120बी भादवि के अंतर्गत केस दर्ज किया गया था। जांच में अभिलेखीय और मौखिक साक्ष्यों के आधार पर तत्कालीन कानूनगो सहित चार अभियुक्तों की संलिप्तता सिद्ध हुई। इनमें से तीन के विरुद्ध पहले ही आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल हो चुका है। लंबे समय से फरार चल रहे चौथे आरोपी विजेन्द्र चौधरी (पुत्र राम प्रसाद चौधरी, निवासी- मकान संख्या 268/1662/1ए, दीघा घाट, देवी मंदिर, एक्स टीटीआई, थाना दीघा, पटना) को प्रचलित गिरफ्तारी अभियान के तहत दबोच लिया गया।
गिरफ्तारी में ईओडब्ल्यू के निरीक्षक सुनील कुमार वर्मा, चंद्र प्रकाश त्रिपाठी, मुख्य आरक्षी छेदी सिंह और सरफराज अंसारी शामिल थे। आज दोपहर 12:50 बजे पटना के बेउर स्थित इंडियन बैंक शाखा से आरोपी को हिरासत में लिया गया। यह कार्रवाई पुराने वित्तीय अपराधों पर नकेल कसने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सख्ती का संदेश देती है।
ईओडब्ल्यू अधिकारियों के अनुसार, आरोपी से पूछताछ में और खुलासे होने की संभावना है।