वाराणसी : प्राथमिक विद्यालय में दिव्यांग छात्रा तीन घंटे कमरे में रही बंद
परिजनों ने लगाई गुहार
वाराणसी (जनवार्ता)। आराजी लाइन विकासखंड के ग्राम पंचायत रामसिंहपुर स्थित एक प्राथमिक विद्यालय से अमानवीय लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां कक्षा तीन की दिव्यांग छात्रा जैनब को कथित रूप से विद्यालय के ही एक कमरे में करीब तीन घंटे तक बंद रखा गया।
घटना 16 सितंबर की बताई जाती है। जानकारी के अनुसार, बच्ची दोपहर लगभग एक बजे से कमरे में कैद रही। शाम चार बजे के आसपास जब मासूम की चीखें और सिसकियां बाहर तक सुनाई दीं, तो परिजनों को इसकी जानकारी हुई। घबराकर उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस की 112 सेवा की मदद से दरवाजा खुलवाया गया और छात्रा को बाहर निकाला गया। दरवाजे से बाहर निकलते समय बच्ची के चेहरे पर डर और बेबसी साफ झलक रही थी।
इस संबंध में छात्रा की मां फातिमा बेगम ने भावुक होकर कहा कि उनकी बेटी दिव्यांग है और विद्यालय की प्रिंसिपल तथा कर्मचारियों ने जानबूझकर रंजिशन उसे कमरे में बंद किया। फातिमा ने आरोप लगाया कि घटना के बाद उन पर दबाव बनाया गया कि मामले को दबा दिया जाए। उन्होंने मांग की कि विद्यालय की वीडियोग्राफी की जांच कराकर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
वहीं, विद्यालय की इंचार्ज महिला प्रिंसिपल ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि 16 सितंबर को संकुल की बैठक थी, जिसके चलते विद्यालय एक घंटे पहले बंद कर दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि यह चूक संभवतः विद्यालय के चपरासी की ओर से हुई होगी। साथ ही उन्होंने खुद को सांप्रदायिक आधार पर परेशान किए जाने का आरोप भी लगाया।
इस पूरे मामले पर खंड शिक्षा अधिकारी आराजी लाइन शशिकांत श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें घटना की जानकारी पहले नहीं थी। अब जबकि मामला प्रकाश में आया है, जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने विद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि जब शिक्षा के मंदिर में ही मासूम सुरक्षित नहीं हैं, तो अभिभावक अपने बच्चों को भरोसे के साथ कहां भेजें। यह सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि विद्यालयों में संवेदनाओं और सुरक्षा का स्थान आखिर कहां खो गया है।