वाराणसी: टेट मुक्ति संयुक्त मोर्चा के बैनर तले शिक्षकों का जोरदार प्रदर्शन
जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
वाराणसी (जनवार्ता) : टेट मुक्ति संयुक्त मोर्चा, वाराणसी के बैनर तले सैकड़ों शिक्षकों ने शनिवार को जिला मुख्यालय पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ शिक्षकों के अस्तित्व, मान-सम्मान और सेवा शर्तों में छेड़छाड़ के मुद्दे पर यह आंदोलन किया गया। प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने टीईटी की अनिवार्यता समाप्त करने और आरटीई अधिनियम 2017 में संशोधन की मांग को लेकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से कलेक्ट्रेट तक जुलूस निकाला और जिलाधिकारी को प्रधानमंत्री व मानव संसाधन विकास मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शन में शामिल शिक्षकों ने एकमत से प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिका से शिक्षकों को आंशिक राहत मिली है, लेकिन यह अपूर्ण है। याचिका में टीईटी की समय सीमा को 2 से 5 वर्ष करने की मांग तो की गई, लेकिन इंटरमीडियट बीटीसी, उर्दू बीटीसी, सीपीएड/डीपीएड योग्यता धारक शिक्षकों का कोई जिक्र नहीं है। वक्ताओं ने मांग की कि सरकार आरटीई अधिनियम 2017 में संशोधन कर 2011 से पूर्व नियुक्त सभी शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त करे। उन्होंने कहा कि 15-30 वर्ष की सेवा के बाद 50-55 वर्ष की आयु में टीईटी पास करने की बाध्यता न केवल असंगत, बल्कि अव्यवहारिक भी है।
आंदोलन में शामिल शिक्षकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उनकी सेवाओं की प्रशंसा और सैद्धांतिक सहमति की सराहना की, लेकिन इस काले कानून को वापस लेने, शिक्षकों के मान-सम्मान की रक्षा और विभाग को प्रयोगशाला बनाने से रोकने की मांग दोहराई। जुलूस पुलिस लाइन चौराहा, गोलघर चौराहा होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचा, जहां शिक्षकों ने नारेबाजी और तख्तियों के माध्यम से अपनी मांगों को बुलंद किया।
कार्यक्रम में चेत नारायण सिंह, पूर्व शिक्षक विधायक व प्रदेश अध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षक संघ, उ.प्र., और प्रो. जगदीश नारायण सिंह दीक्षित, संयुक्त महामंत्री व संस्थापक सदस्य, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, उत्तर प्रदेश, की विशेष उपस्थिति रही। टेट मुक्ति संयुक्त मोर्चा ने चेतावनी दी कि जब तक आरटीई अधिनियम 2017 में संशोधन नहीं होता, उनका चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा।