शैलपुत्री माता की आरती: भक्ति और शक्ति का दिव्य साधन

शैलपुत्री माता की आरती: भक्ति और शक्ति का दिव्य साधन

शैलपुत्री माता देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में से प्रथम स्वरूप हैं। इसलिए Shailputri Mata Ki Aarti भक्तों के लिए शक्ति, साहस और भक्ति का प्रतीक है। आरती करने से मन शांत होता है और आत्मा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। श्रद्धा और भक्ति से की गई आरती जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाती है। ये रहा शैलपुत्री माता की आरती का सम्पूर्ण गायन:

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Shailputri Mata Ki Aarti

शैलपुत्री माँ बैल असवार,
करें देवता जय जय कार।

शिव-शंकर की प्रिय भवानी,
तेरी महिमा किसी ने न जानी।

पार्वती तू उमा कहलावें,
जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें।

रिद्धि सिद्धि परवान करें तू,
दया करें धनवान करें तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी,
आरती जिसने तेरी उतारी।

उसकी सगरी आस पुजा दो,
सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो।

घी का सुन्दर दीप जला के,
गोला गरी का भोग लगा के।

श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें,
प्रेम सहित फिर शीश झुकायें।

जय गिरराज किशोरी अम्बे,
शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे।

मनोकामना पूर्ण कर दो,
चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो।

माता की आरती करने की विधि

  1. स्थान और तैयारी: आरती करने के लिए सुबह या शाम का समय सबसे शुभ माना जाता है। पूजा का स्थान हमेशा स्वच्छ और शांत होना चाहिए ताकि ध्यान भटकने न पाए।
  2. मूर्ति स्थापना: माता की तस्वीर को साफ-सुथरा रखकर सजाएं। शांत और दिव्य वातावरण से आरती का प्रभाव बढ़ता है और भक्त का मन पूरी तरह भक्ति में केंद्रित रहता है।
  3. पूजन सामग्री: आरती के लिए दीपक, अगरबत्ती, धूप, पुष्प और हल्का प्रसाद तैयार करें। दीपक घी का होना शुभ माना जाता है।
  4. संकल्प: आरती शुरू करने से पहले मन में भक्ति और श्रद्धा का संकल्प करें। माता शैलपुत्री की कृपा पाने की इच्छा रखें और अपने हृदय में उनका रूप कल्पना करें।
  5. आरती का क्रम: शैलपुत्री माता की आरती के दौरान दीपक को माता के सामने रखकर घुमाएं और हाथ जोड़कर श्रद्धा भाव से आरती करें। भक्ति भाव के साथ की गई आरती माता की कृपा को जल्दी आकर्षित करती है।
  6. प्रसाद: आरती पूर्ण होने पर माता को प्रणाम करें। दीपक की लौ को अपनी आंखों और माथे से लगाकर आशीर्वाद ग्रहण करें, इसके बाद प्रसाद अर्पित करें और सभी में बांटें।
  7. ध्यान और भक्ति: आरती के बाद कुछ समय माता का ध्यान करें और उनके प्रति अपने मन की भक्ति व्यक्त करें। ध्यान और भक्ति का यह समापन चरण आरती के प्रभाव को और भी बढ़ाता है।
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आरती से होने वाले लाभ

  • आरती करने से मन शांत और स्थिर होता है, जिससे चिंता और तनाव कम होते हैं और हृदय में संतुलन आता है।
  • माता की आरती भक्त को साहस और आत्मबल प्रदान करती है, जिससे जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं का सामना आसानी से किया जा सकता है।
  • आरती घर और आसपास के वातावरण को पवित्र और ऊर्जावान बनाती है।
  • भक्त का भक्ति भाव प्रगाढ़ होता है और आत्मा आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनती है।
  • आरती से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है और माता के आशीर्वाद से सभी कार्य सफल होते हैं।

Shailputri Mata Ki Aarti श्रद्धा और भक्ति का एक दिव्य साधन है। नियमित आरती करने से मानसिक शांति, साहस और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। माता के आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी कार्य सफल होते हैं। श्रद्धा और भक्ति के साथ माता की आरती करें और उनके आशीर्वाद का अनुभव अपने जीवन में पाएं।

Shiv murti

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