हनुमान कवच : शक्ति, सुरक्षा और भक्ति का दिव्य कवच

हनुमान कवच : शक्ति, सुरक्षा और भक्ति का दिव्य कवच

“हनुमान कवच” भगवान बजरंगबली का वह दिव्य स्तोत्र है, जो साधक को हर प्रकार के भय, बाधा और संकट से रक्षा प्रदान करता है। यह कवच न केवल आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है, बल्कि मानसिक और आत्मिक संतुलन भी देता है। श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका पाठ करने से जीवन में आत्मबल, साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान कवच का पाठ करता है, वह नकारात्मकता से दूर रहकर शांति और सुरक्षा का अनुभव करता है। यह कवच हर भक्त के लिए एक अदृश्य ढाल की तरह कार्य करता है।

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हनुमान कवच

श्री हनुमान कवच मंत्र।
श्री गणेशाय नम:।

ॐ श्री हनुमते नमः।

ॐ अस्य श्रीपञ्चमुख हनुमतकवच मंत्रस्य ब्रहमा ऋषि:।

गायत्री छंद्:

श्रीपञ्चमुख विराट हनुमान देवता

ह्रीम बीजम्

श्रींम शक्ति:, क्रौ कीलकम्।
क्रूं कवचम्, क्रै अस्त्राय फ़ट्।

इति दिग्बंध्:

श्री गरूड उवाच्

अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि श्रुणु सर्वांगसुंदरम्,
यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत्: प्रियम् ।।


पञ्चवक्त्रं महाभीमं त्रिपंच नयनैर्युतम्,
बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिध्दिदम् ।।

पूर्वतु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्,
दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटी कुटिलेक्षणम् ।।


अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्,
अत्युग्रतेजोवपुष्पं भीषणम भयनाशनम् ।।

पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्,
सर्वनागप्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम् ।।


उत्तरं सौकरं वक्त्रं कृष्णं दिप्तंनभोपमम्,
पाताले सिंह बेतालं ज्वररोगादिकृन्तनम ।।

ऊर्ध्वं हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम्,
येन वक्त्रेण विप्रेन्द्र तारकाख्यमं महासुरम् ।।


जघानशरणं तस्यात्सर्वशत्रुहरं परम् ।

ध्यात्वा पंचमुखं रुद्रं हनुमन्तं दयानिधिम् ।।

खड्गं त्रिशुलं खट्वांगं पाशमंकुशपर्वतम्,
मुष्टिं कौमोदकीं वृक्षं धारयन्तं कमण्डलुं ।।

भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रा दसभिर मुनिपुंगवम् ।
एतान्यायुधजालानि धारयन्तं भजाम्यहम् ।।

प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभरण्भुषितम् ।
दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम ।।

सर्वाश्चर्यमयं देवं हनुमद् विश्वतोमुखम् ।

पंचास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्ण वक्त्रं शशांकशिखरं कपिराजवर्यम् ।
पीताम्बरादिमुकुटैरूप शोभितांगं पिंगाक्षमाद्यमनिशं मनसा स्मरामि ।।


मर्कटेशं महोत्साहं सर्वशत्रुहरं परम् ।

शत्रुं संहरमां रक्ष श्री मन्नापदमुध्दर ।।

ओम हरिमर्कट मर्कट मंत्रमिदं परिलिख्यति लिख्यति वामतले ।।
यदि नश्यति नश्यति शत्रुकुलं यदि मुंच्यति मुंच्यति वामलता ।।

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ओम हरिमर्कटाय स्वाहा ओम नमो भगवते पंचवदनाय पूर्वकपिमुखाय सकलशत्रुसंहारकाय स्वाहा ।
ओम नमो भगवते पंचवदनाय दक्षिणमुखाय करालवदनाय नरसिंहाय सकलभूतप्रमथनाय स्वाहा ।
ओम नमो भगवते पंचवदनाय पश्चिममुखाय गरूडाननाय सकलविषहराय स्वाहा ।
ओम नमो भगवते पंचवदनाय उत्तरमुखाय आदिवराहाय सकलसंपत्कराय स्वाहा ।
ओम नमो भगवते पंचवदनाय उर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय सकलजनवशकराय स्वाहा ।

ॐ अस्य श्री पञ्चमुखहनुमत् मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषि: अनुष्टुपछन्दः पञ्चमुख वीर हनुमान देवता हनुमान इति बीजं वायुपुत्रः इति शक्तिः अंजनी सूत इति कीलकम श्रीरामदूत हनुमत प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।

ॐ अंजनी सुताए अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । हृदयाय नमः ।
ॐ रुद्रमूर्तये तर्जने भयाम नमः । शिरसे स्वाहा ।
ॐ वायु पुत्राये तर्जनीभ्यां नमः । शिखायै वौषट ।
ॐ अग्निगर्भये अनामिकाभ्यां नमः । कवचाय हुम् ।

ॐ रामदूताय कनिष्ठिकाभ्यां नमः । नेत्रत्रयाय वौषट ।
ॐ पंचमुख हनुमते करतलेपृष्ठाभ्यां नमः ।अस्त्राय फट ।
इदं कवचं पठित्वा तु महाकवचं पठेन्नरः ।
एकवारं जपे स्त्रोत्रं सर्वशत्रुनिवारणम् ।।

द्विवारं तु पठेन्नित्यं पुत्रपौत्रप्रवर्धनम् ।
त्रिवारं च पठेत नित्यं सर्वसंपत्करं शुभम ।।


चतुर्वारं पठेन्नित्यं सर्वरोगनिवारणम् ।
पञ्चवारं पठेन्नित्यं सर्वलोक वशमकरम् ।।

षड्वारं तु पठेन्नित्यं सर्वदेव वशमकरम् ।
सप्तवारं पठेन्नित्यं सौभाग्यदायकम् ।।


अष्टवारं पठेन्नित्यं सर्व अष्टकामार्थसिद्धिदम् ।
नववारं पठेन्नित्यं सर्वैश्वर्य प्रदायकम् ।।


दशवारं च पठेन्नित्यं त्रैलोक्य ज्ञानदर्शनम् ।
एकादशं पठेन्नित्यं सर्वसिद्धिं लभेन्नरः ।।

।। ओम श्रीपंचमुखहनुमंताय आंजनेयाय नमो नम: ।।
।। श्रीपञ्चमुखी हनुमत्कवच समाप्तं ।।

पाठ की विधि

कैसे करें हनुमान कवच का पाठ

  • मंगलवार या शनिवार को पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
  • लाल पुष्प, सिंदूर और गुड़-चना का भोग लगाएँ।
  • “ॐ हनुमते नमः” मंत्र से प्रारंभ करें और फिर पूरे हनुमान कवच का श्रद्धा से पाठ करें।
  • पाठ के अंत में हनुमान जी से रक्षा और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
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लाभ

हनुमान कवच पाठ के अद्भुत फल

  • भय, रोग और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है।
  • जीवन की बाधाएँ और संकट दूर होते हैं।
  • आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  • कार्यों में सफलता और परिवार में शांति बनी रहती है।
  • हनुमान जी की कृपा से साधक सदैव सुरक्षित और ऊर्जावान रहता है।

निष्कर्ष

हनुमान कवच का नियमित पाठ जीवन में सुरक्षा, शक्ति और स्थिरता लाता है। यह कवच साधक को हर विपत्ति से बचाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। श्रद्धा और विश्वास के साथ किया गया यह पाठ न केवल अध्यात्मिक उन्नति देता है, बल्कि भय और नकारात्मक विचारों को भी समाप्त करता है। हनुमान जी की कृपा से जीवन में साहस, सफलता और संतोष प्राप्त होता है — यही हनुमान कवच का सच्चा प्रभाव है।

Shiv murti

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