बनारस में बिजली कर्मियों का 317वें दिन भी निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन
वाराणसी (जनवार्ता) : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस के बिजली कर्मियों ने विद्युत वितरण के निजीकरण के विरोध में अपने आंदोलन के 317वें दिन भी जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने कहा कि वर्षों की मेहनत से प्राप्त नौकरी को बर्बाद नहीं होने देंगे और निजीकरण के खिलाफ मरते दम तक संघर्ष जारी रखेंगे।
कर्मचारियों ने भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 का पुरजोर विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय तत्काल रद्द किया जाए। उनका कहना है कि यह निर्णय ड्राफ्ट बिल के उस प्रावधान के खिलाफ है, जिसमें सरकारी क्षेत्र के विद्युत वितरण निगमों को बनाए रखने की बात कही गई है।
संघर्ष समिति ने बताया कि ड्राफ्ट बिल में प्रावधान है कि सरकारी विद्युत वितरण निगमों को कार्य करने की अनुमति होगी, साथ ही निजी कंपनियों को सरकारी नेटवर्क का उपयोग कर विद्युत वितरण के लिए लाइसेंस दिए जा सकते हैं। हालांकि, समिति ने इस प्रावधान को भी जनहित के खिलाफ बताया और कहा कि इस संबंध में केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को जल्द ही अपना प्रतिवेदन भेजा जाएगा।
वक्ताओं ने चेतावनी दी कि उत्तर प्रदेश सरकार के मौजूदा निर्णय के तहत पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत आने वाले 42 जनपदों का निजीकरण कर उन्हें निजी कंपनियों को सौंपने की योजना है, जिससे इन क्षेत्रों में निजी कंपनियों की मनमानी बढ़ेगी। समिति ने इसे ड्राफ्ट बिल की नीति से विरोधाभासी बताते हुए निजीकरण के निर्णय को तत्काल निरस्त करने की मांग की।
सभा को ई. मायाशंकर तिवारी, अंकुर पाण्डेय, पंकज कुमार, बृजेश कुमार, विकास ठाकुर, दिनेश कुमार, समीर पाल, अरुण कुमार, आशुतोष राय, जितेंद्र कुमार, नागेंद्र कुमार, छोटेलाल आदि ने संबोधित किया। समिति ने मुख्यमंत्री को इस संबंध में अलग से पत्र भेजने और प्रेस वक्तव्य जारी करने की घोषणा की।