साड्डे कृष्ण कन्हैया ने | प्रेम, आनंद और विश्वास से भरा भक्ति गीत
“साड्डे कृष्ण कन्हैया ने” भजन भक्त के उस आनंद का प्रतीक है जो श्रीकृष्ण के प्रेम में डूबकर अपने आराध्य को नाचते-गाते याद करता है। इसमें वह भाव झलकता है जब गोपियाँ और भक्त श्रीकृष्ण के नाम से झूम उठते हैं। इस भजन के बोल भक्ति को केवल प्रार्थना नहीं, बल्कि उत्सव बना देते हैं — जहाँ प्रेम, संगीत और ईश्वर-समर्पण का संगम होता है। इसे गाने से मन हल्का, हर्षित और ईश्वर-स्मरण से पूर्ण हो जाता है।
आता नहीं बाज,
करने शरारत तू।
तोड़ी है मटकी, माखन वाली,
झूठी खाता सौ।
गुस्से में आकर, रस्सी के साथ,
बांध दिया मइया ने।
रौनक लाई रखी है हमारे,
कृष्ण कन्हैया ने।
मस्ती में खिलखिल हंसता,
गोकुल में वास है रब का।
सबके मुख पे, कृष्णा कृष्णा,
नंद गोपाला वो, प्यारा सबका।
कोई असर नहीं, उस पर लगा,
शिकायतें रहती हैं।
रौनक लाई रखी है हमारे,
कृष्ण कन्हैया ने।
रंग सांवला, भोली सूरत,
कुंडलों वाले केस।
मनोहर दिल, खींच ले जाता है,
जिसने उसे देखा।
कृष्णा कृष्णा, सारे जग में,
धूम मची हुई है।
रौनक लाई रखी है हमारे,
कृष्ण कन्हैया ने।
नंद किशोर, माखन चोर,
दिल भी चोरी कर जाए।
किस्मत वाले घर में हो,
घर में पैर वह धर जाए।
देवी-देवता भी, देख कृष्ण को,
यह बातें कहते हैं।
रौनक लाई रखी है हमारे,
कृष्ण कन्हैया ने।
गायन की विधि
- यह भजन प्रातः, संध्या या जन्माष्टमी जैसे पर्वों पर गाया जा सकता है।
- श्रीकृष्ण की मूर्ति या बाल रूप के चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
- हल्की ढोलक, मंजीरे या हारमोनियम के साथ गायन करें।
- भाव यह रखें कि आप स्वयं वृंदावन की गलियों में श्रीकृष्ण का नाम गा रहे हैं।
- अंत में “जय श्रीकृष्ण” बोलकर आरती करें और प्रेमपूर्वक प्रणाम करें।
लाभ
- मन में भक्ति और आनंद का प्रवाह होता है।
- तनाव, उदासी और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- श्रीकृष्ण के प्रति लगाव और आत्मीयता बढ़ती है।
- परिवार और घर के वातावरण में सकारात्मकता और उल्लास फैलता है।
- यह भजन मन और आत्मा को हल्कापन और संतोष का अनुभव कराता है।
निष्कर्ष
“साड्डे कृष्ण कन्हैया ने” केवल एक भजन नहीं, बल्कि भक्ति और उत्सव का संगम है। इसे गाने से ऐसा लगता है जैसे स्वयं बृजधाम की गलियों में श्रीकृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन गूंज रही हो। यह भजन हमें याद दिलाता है कि ईश्वर की भक्ति में आनंद छिपा है, और कन्हैया का नाम लेते ही हर दुख मिट जाता है। इसे श्रद्धा और हर्ष के साथ गाना आत्मा को भक्ति और प्रेम से भर देता है।