है तेरे अहसानों का मुझे गणपति जी अहसास | कृतज्ञता, भक्ति और प्रेम से ओतप्रोत गणेश भजन
“है तेरे अहसानों का मुझे गणपति जी अहसास” भजन एक सच्चे भक्त की कृतज्ञता का भाव प्रकट करता है। इसमें वह भावना झलकती है जब इंसान अपने जीवन की हर सफलता, शांति और सुख का श्रेय गणपति बप्पा को देता है। यह भजन हमें याद दिलाता है कि जीवन में जो भी अच्छा है, वह बप्पा की कृपा का परिणाम है। इसे गाते समय मन विनम्रता और प्रेम से भर जाता है, और आत्मा को सच्ची शांति का अनुभव होता है।
है तेरे अहसानों का मुझे गणपति जी अहसास,
फिर से आया हूं शरण में लेकर मन आस,
लेकर मन में आस करो दूर विघ्न सब मेरे,
विघ्नहर्ता कौन हरेगा सब बिन अब तेरे,
विघ्न नाशक करदे मेरे सब विघ्नों का नाश,
फिर से आया हूं शरण में लेकर मन आस,
है तेरे अहसानों का मुझे गणपति जी अहसास…..
आ गया हूं शरण में लिए बना चरणों में डेरे,
सुखकर्ता तुम्हारे होते कैसे मुझे दुःख सब घेरे,
दया दृष्टि रहे तेरी तो सुख सब रहें मेरे पास,
फिर से आया हूं शरण में लेकर मन आस,
है तेरे अहसानों का मुझे गणपति जी अहसास,
है तेरे अहसानों का राजीव को गणपति जी अहसास,
फिर से आया हूं शरण में लेकर मन में आस….
पूजन व गायन की विधि
- प्रातः या संध्या के समय श्री गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
- दूर्वा, मोदक और लाल फूल अर्पित करें।
- “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का जप करके ध्यान केंद्रित करें।
- फिर श्रद्धा और नम्रता से “है तेरे अहसानों का मुझे गणपति जी अहसास” भजन गाएँ।
- अंत में बप्पा से आभार व्यक्त करें और आगे भी अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें।
लाभ
- मन में विनम्रता और कृतज्ञता का भाव जागता है।
- भक्ति और विश्वास और गहरे होते हैं।
- आत्मा में शांति और संतोष का अनुभव होता है।
- गणपति बप्पा की कृपा से कार्यों में सफलता और सुख प्राप्त होता है।
- परिवार और घर में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता फैलती है।
निष्कर्ष
“है तेरे अहसानों का मुझे गणपति जी अहसास” भजन हमें यह सिखाता है कि भक्ति का सबसे सच्चा रूप “आभार” है। जब हम ईश्वर के प्रति धन्यवाद का भाव रखते हैं, तो जीवन के हर पल में खुशी और शांति मिलती है। यह भजन न केवल गणेश जी की स्तुति है, बल्कि उस प्रेम का भी प्रतीक है जो भक्त और भगवान के बीच अटूट बंधन बनाता है।