भाभी माँगे देवर लक्ष्मण की तरह | मर्यादा, प्रेम और भक्ति का सुंदर भजन
“भाभी माँगे देवर लक्ष्मण की तरह” भजन रामायण के उस पवित्र भाव को समर्पित है, जहाँ लक्ष्मण जी ने माता सीता की सेवा और सुरक्षा के लिए अपने जीवन का हर क्षण समर्पित किया। यह भजन नारी सम्मान, भक्ति और परिवार में प्रेम की मर्यादा का प्रतीक है। इसमें एक भक्त माँ सीता की तरह अपने जीवन में ऐसे ही स्नेही, सेवा-भावी और धर्मनिष्ठ संबंधों की कामना करती है। यह गीत शालीनता, श्रद्धा और आदर्श संबंधों का संदेश देता है।

माँ की ममता माँ से मांगे,
मुझे पुत्र मिले श्रवण की तरह,
भाभी मांगे देवर लक्ष्मण की तरह………
गुरु बिन ज्ञान कहाँ से लाऊ, गुरु से बढ़कर कोई नही,
भव सागर से तार दे सबको, शक्ति जगत में कोई नही,
गुरूजी मांगे मुझे शिष्य मिले, मुझे शिष्य मिले एकलव्य की तरह,
भाभी मांगे देवर लक्ष्मण की तरह…..
जब जब भीड़ पड़ी बहना पर दौडे दौडे आते है,
परम कृपा कर अपनों पर ये सबकी लाज बचाते है,
बहना मांगे मुझे भाई मिले बहना मांगे मुझे भाई मिले,
मुझे भाई मिले कृष्णा की तरह,
भाभी मांगे देवर लक्ष्मण की तरह…
भजन गायन की विधि
- प्रातः या संध्या के समय भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
- तुलसी-दल और फूल अर्पित करें।
- “श्रीराम जय राम जय जय राम” मंत्र का तीन बार जप करें।
- भक्ति भाव से “भाभी माँगे देवर लक्ष्मण की तरह” भजन गाएँ या सुनें।
- अंत में भगवान से परिवार में प्रेम, मर्यादा और एकता की प्रार्थना करें।
लाभ
- परिवार में प्रेम, सम्मान और स्नेह की भावना बढ़ती है।
- मन में मर्यादा और आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा मिलती है।
- माता सीता और भगवान लक्ष्मण की कृपा से घर में शांति बनी रहती है।
- यह भजन जीवन में करुणा, सेवा और भक्ति का भाव प्रकट करता है।
- मन में विनम्रता और आध्यात्मिक संतुलन आता है।
निष्कर्ष
“भाभी माँगे देवर लक्ष्मण की तरह” भजन केवल शब्दों का मेल नहीं, बल्कि रामायण के मूल संस्कारों का संदेश है। यह हमें सिखाता है कि संबंध तभी दिव्य बनते हैं जब उनमें आदर, मर्यादा और भक्ति का भाव हो। इस भजन को सुनने या गाने से मन में शुद्धता और परिवार में सौहार्द का वातावरण बनता है। माता सीता और लक्ष्मण जी की यह प्रेरणा आज भी हर घर में आदर्श का रूप है।

