राहों में फूल बिछाऊँगी | समर्पण, प्रेम और भक्ति का मधुर भजन
“राहों में फूल बिछाऊँगी” भजन एक भक्त की सच्ची निष्ठा और समर्पण की भावना को दर्शाता है। इसमें भक्त यह वचन देता है कि जब प्रभु उसके द्वार आएँगे, तो वह प्रेम और श्रद्धा से उनकी राहों में फूल बिछाएगा। यह भाव दर्शाता है कि सच्ची भक्ति में दिखावा नहीं, बल्कि हृदय का समर्पण महत्वपूर्ण होता है। इस भजन में प्रेम, विनम्रता और आस्था का अद्भुत संगम है, जो सुनने वाले के मन को भी भक्ति से भर देता है।

राहों में फूल बिछाऊँगी, जब राम मेरे घर आएंगे,
जब राम मेरे घर आएंगे, जब राम मेरे घर आएंगे,
राहों में फूल बिछाऊँगी, जब राम मेरे घर आएंगे…..
मैं चुन चुन कलियाँ लाऊंगी, हांथो से हार बनाऊँगी,
मैं उनको हार पहनाऊँगी, जब राम मेरे घर आएंगे,
राहों में फूल बिछाऊँगी, जब राम मेरे घर आएंगे…..
मैं चन्दन चौकी बिछाऊँगी, फूलों से उसे सजाऊंगी,
मैं प्रेम से उन्हें बिठाउंगी, जब राम मेरे घर आएंगे,
राहों में फूल बिछाऊँगी, जब राम मेरे घर आएंगे…..
मैं छप्पन भोग बनाउंगी, हाथों से उन्हें खिलाऊंगी,
मैं प्रेम से उन्हें खिलाऊंगी, जब राम मेरे घर आएंगे,
राहों में फूल बिछाऊँगी, जब राम मेरे घर आएंगे…..
मैं रो – रो उन्हें मनाऊंगी, गा -गा कर उन्हें सुनाऊँगी,
मैं अपना हाल बताउंगी, जब राम मेरे घर आएंगे,
राहों में फूल बिछाऊँगी, जब राम मेरे घर आएंगे…..
मैं फूलों की सेज बिछाऊँगी, झालर का तकिया लगाउंगी,
मैं उनके चरण दबाऊँगी, जब राम मेरे घर आएंगे,
राहों में फूल बिछाऊँगी, जब राम मेरे घर आएंगे…..
भजन गाने की विधि
- प्रातः या संध्या के समय स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- अपने घर के पूजास्थल या मंदिर में दीपक और अगरबत्ती जलाएँ।
- प्रभु (श्रीकृष्ण, श्रीराम या अपने आराध्य देव) के चित्र या मूर्ति के सामने फूल अर्पित करें।
- मन को शांत करें और प्रेमपूर्वक “राहों में फूल बिछाऊँगी” भजन गाएँ या सुनें।
- अंत में भगवान से आशीर्वाद माँगें कि आपके जीवन में भी उनकी कृपा सदा बनी रहे।
लाभ
- मन में भक्ति, प्रेम और शांति का अनुभव होता है।
- जीवन में सकारात्मकता और करुणा की भावना बढ़ती है।
- घर का वातावरण पवित्र और शांत बनता है।
- ईश्वर के प्रति गहरा समर्पण और जुड़ाव महसूस होता है।
- यह भजन मन की थकान और चिंता को दूर करता है।
निष्कर्ष
“राहों में फूल बिछाऊँगी” भजन केवल शब्द नहीं, बल्कि एक भक्त की आत्मिक पुकार है — जब प्रेम से भरा मन अपने प्रभु का स्वागत करता है। यह भजन हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति वही है जो निःस्वार्थ और प्रेमपूर्ण हो। श्रद्धा और सादगी के साथ इसे गाने से हृदय में शांति, प्रेम और आत्मिक संतोष का भाव उमड़ता है।

