भक्ति के रंग में | ईश्वर प्रेम से रंगा हुआ जीवन
“भक्ति के रंग में” एक ऐसा भजन या भाव है जो हमें बताता है कि जब जीवन ईश्वर की याद में रंग जाता है, तो हर दुख, चिंता और मोह समाप्त हो जाते हैं। यह भाव हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति किसी एक पूजा-पाठ तक सीमित नहीं, बल्कि हर कार्य में प्रभु की उपस्थिति महसूस करना है। जब मन “भक्ति के रंग में” रंग जाता है, तो संसार का हर पल एक उत्सव बन जाता है। यह हमें प्रेम, करुणा और समर्पण का मार्ग दिखाता है।

हो भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन,
हो भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन,
पल भी न बिसराऊ तुझको निसदिन कर लूँ चिंतन,
निसदिन कर लूँ चिंतन,
भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन,
भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन…………..
प्रवास में संग रामभक्ति हो तो यात्रा कहलाये,
प्रवास में संग रामभक्ति हो तो यात्रा कहलाये,
भोजन में हो भक्ति शामिल वो प्रसाद बन जाए,
भोजन में हो भक्ति शामिल वो प्रसाद बन जाए,
भक्ति के गंगाजल से ये तनमन कर दे पावन,
तनमन कर दे पावन,
भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन,
ओ भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन………
श्रम से मिलन हो रामभक्ति का वो श्रम यज्ञ कहावे,
श्रम से मिलन हो रामभक्ति का वो श्रम यज्ञ कहावे,
निराहार उपवास बने जब भक्ति का रस घुल जाये,
निराहार उपवास बने जब भक्ति का रस घुल जाये,
भक्ति के फूलों से भर दे मेरे मन का उपवन,
मेरे मन का उपवन,
भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन,
हो भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन……………
जिस आवास में राम बसें हो वो मंदिर बन जाये,
जिस आवास में राम बसें हो वो मंदिर बन जाये,
पत्थर भी श्री राम नाम के कारण ही तर पाए,
पत्थर भी श्री राम नाम के कारण ही तर पाए,
रामभक्ति से जोड़ लूँ नाता तोड़के सारे बंधन,
तोड़के सारे बंधन,
भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन,
भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन………….
याद में रामभक्ति जलसिंचन निज आनंद दिलवाये,
याद में रामभक्ति जलसिंचन निज आनंद दिलवाये,
जीव बने श्रीराम में तनमय उनमें जाये समाये,
जीव बने श्रीराम में तनमय उनमें जाये समाये,
मुक्ति का पथ दिखलाना हे दशरथ के नंदन,
हे दशरथ के नंदन,
भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन,
हो भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन,
पल भी न बिसराऊ तुझको निसदिन कर लूँ चिंतन,
निसदिन कर लूँ चिंतन,
भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन,
भक्ति के रंग में रंग दे जीवन,
ओ मेरे रघुनन्दन……..
भक्ति विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ और सादे वस्त्र धारण करें।
- अपने पूजास्थल को साफ करें और दीपक, अगरबत्ती जलाएँ।
- प्रभु का ध्यान करते हुए आँखें बंद करें और मन को शांत करें।
- दिन की शुरुआत किसी भजन या “भक्ति के रंग में” की पंक्तियों से करें।
- हर कार्य को ईश्वर को समर्पित भाव से करें — चाहे पढ़ाई हो, काम या सेवा।
- दिन के अंत में प्रभु को धन्यवाद दें और एक छोटा प्रार्थना-गीत गाएँ।
लाभ
- मन शांत, स्थिर और प्रसन्न रहता है।
- नकारात्मक विचारों और तनाव से मुक्ति मिलती है।
- जीवन में प्रेम, करुणा और सकारात्मकता का संचार होता है।
- ईश्वर के प्रति विश्वास और आत्मबल बढ़ता है।
- परिवार और समाज में सौहार्द, प्रेम और भक्ति का वातावरण बनता है।
निष्कर्ष
“भक्ति के रंग में” रहना मतलब जीवन को प्रभु की उपस्थिति से भर देना है। यह भक्ति हमें सिखाती है कि ईश्वर के प्रेम में डूबा हुआ मन कभी अकेला नहीं होता। जब हम सच्चे भाव से भक्ति करते हैं, तो हमारे हर कर्म में पवित्रता और हर सांस में ईश्वर का नाम बस जाता है। यही जीवन का सच्चा रंग है — भक्ति का रंग।

