कुशीनगर : सड़क हादसे में नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी सुखदेव पहलवान की मौत
कुशीनगर (जनवार्ता) : उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में एक सड़क हादसे ने एक बार फिर बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड को सुर्खियों में ला दिया है। 2002 के इस कुख्यात मर्डर केस में उम्रकैद की सजा काट चुके सुखदेव पहलवान की अज्ञात वाहन की टक्कर से मौके पर ही मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तीन माह पूर्व जेल से रिहा हुए सुखदेव की यह मौत कई सवाल खड़े कर रही है।

पुलिस के अनुसार, कुशीनगर के तुर्कपट्टी थाने के अंतर्गत मधुरिया पुलिस चौकी के पास सुखदेव पहलवान बाइक पर सवार होकर जा रहे थे। तभी एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में गंभीर रूप से घायल सुखदेव को स्थानीय अस्पताल पहुंचाने से पहले ही उनकी सांसें थम गईं। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया है और वाहन की तलाश के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। थानाध्यक्ष ने बताया कि प्रथमिक जांच में यह दुर्घटना प्रतीत हो रही है, लेकिन सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है।
सुखदेव पहलवान का नाम 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड से जुड़ा था, जो दिल्ली के एक प्रतिष्ठित व्यवसायी परिवार के बेटे की निर्मम हत्या का मामला था। इस सनसनीखेज घटना में बाहुबली नेता डीपी यादव के पुत्र विकास यादव और विशाल यादव के साथ सुखदेव को भी मुख्य आरोपी बनाया गया था। निचली अदालत ने तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सजा को कम करते हुए सुखदेव को 20 वर्ष की कैद के बाद रिहा करने का आदेश दिया। जुलाई 2025 में जेल से बाहर आने के बाद वे कुशीनगर में ही रह रहे थे और सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर रहे थे।
नीतीश कटारा की मां नूतन कटारा ने हत्याकांड के बाद न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार इस केस में सख्ती दिखाई, लेकिन सुखदेव की रिहाई पर दिल्ली सरकार को फटकार भी लगाई गई थी। सुखदेव के परिजनों ने हादसे को महज दुर्घटना बताया है, लेकिन स्थानीय स्तर पर कुछ लोग पुराने दुश्मनी के कोण से इसे देख रहे हैं। पुलिस ने परिजनों को सांत्वना दी है और जांच पूरी होने तक कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है।
यह घटना उत्तर प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों की पृष्ठभूमि में और भी चिंताजनक है। हाल ही में कुशीनगर में ही दो अन्य हादसों में सात लोगों की जान जा चुकी है, जो राज्य में यातायात सुरक्षा पर सवाल उठा रही है। सुखदेव की मौत से नीतीश कटारा केस का एक अध्याय समाप्त हो गया, लेकिन यह याद दिलाता है कि न्याय की प्रक्रिया कितनी लंबी और जटिल हो सकती है।

