त्रिकाल दर्शी त्रिलोक स्वामी | सर्वज्ञ महादेव का अनंत ज्ञान और कृपा

त्रिकाल दर्शी त्रिलोक स्वामी | सर्वज्ञ महादेव का अनंत ज्ञान और कृपा

त्रिकाल दर्शी त्रिलोक स्वामी यह पंक्ति भगवान शिव के उस अद्भुत स्वरूप की व्याख्या करती है जो समय और लोक की सीमाओं से परे हैं। वे केवल देवताओं के ही नहीं, बल्कि समस्त सृष्टि के पालनहार और रक्षक हैं। भूत, वर्तमान और भविष्य — तीनों काल उनके लिए एक समान हैं, क्योंकि वे साक्षात् काल के भी स्वामी हैं। जब हम उन्हें स्मरण करते हैं, तो हमारे जीवन के अंधकार मिट जाते हैं और हमें सही मार्गदर्शन प्राप्त होता है। उनका दर्शन मन को स्थिरता और आत्मा को शुद्धता प्रदान करता है।

rajeshswari

त्रिकालं दर्शी त्रिलोक स्वामी,
त्रिपुंड धारी त्रिअक्षयकंबक,
नृत्य गायन कला के स्वामी,
हे धर्म पालक अधर्म नाशक।।

है चल अचल में शवी तुम्हारी,
तुम आत्मा हो परमात्मा हो,
सृवेष तुम हो करुणेश तुम हो,
है भुल हम सब तुम ही शमा हो।
त्रिकाल दर्शी..

है चंद्र मस्तक जटा में गंगा,
है संगी साथी भव्य निशाचर,
है कंठ शोभा सर्पों की माला,
त्रिशूल कर में कटी बाघाम्बर।
त्रिकाल दर्शी..

अजात शत्रु हो मित्र सबके,
पवित्रता के आधार‌ तुम हो,
मृत्युंजय तुम हो तुम्हीं हो अक्षय,
तुम ही सनातन ऊंकार तुम हो।
त्रिकाल दर्शी..

भाव से पूजन या ध्यान विधि

  1. समय: सोमवार का दिन या शिवरात्रि विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  2. स्थान: घर के मंदिर या किसी पवित्र स्थल पर शिवलिंग की स्थापना करें।
  3. सामग्री: जल, बेलपत्र, धूप, दीपक, पुष्प, गंगाजल और चंदन रखें।
  4. प्रारंभ: “ॐ नमः शिवाय” का पाँच बार उच्चारण करें और दीपक जलाएँ।
  5. ध्यान या पूजन: भगवान शिव को “त्रिकाल दर्शी त्रिलोक स्वामी” रूप में स्मरण करें — ध्यान करें कि वे तीनों लोकों और तीनों कालों को प्रकाशित कर रहे हैं।
  6. जप या भजन: इस भाव से भक्ति गीत या मंत्र का जप करें।
  7. समापन: अंत में प्रार्थना करें — “हे त्रिलोक स्वामी, मेरे जीवन का अंधकार दूर करें और सत्य मार्ग दिखाएँ।”
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इस भक्ति से मिलने वाले लाभ

  • जीवन में स्पष्टता: भगवान शिव की कृपा से मन को सही दिशा और निर्णय शक्ति मिलती है।
  • कर्म शुद्धि: भूतकाल के पाप मिटते हैं और वर्तमान कर्मों में शुद्धता आती है।
  • भविष्य की रक्षा: शिवजी की कृपा से आने वाले संकटों से सुरक्षा मिलती है।
  • मानसिक संतुलन: त्रिकालदर्शी शिव का ध्यान करने से मन शांत और संयमित होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: भक्त का आत्मबोध और ईश्वर से संबंध गहरा होता है।

निष्कर्ष

त्रिकाल दर्शी त्रिलोक स्वामी यह नाम स्वयं में सम्पूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति और ज्ञान का प्रतीक है। जो व्यक्ति सच्चे मन से महादेव को इस रूप में पूजता है, उसके जीवन से भय, भ्रम और अज्ञान मिट जाता है। वे अपने भक्तों को समय, स्थिति और परिस्थिति से ऊपर उठकर सत्य का बोध कराते हैं। जब हम उन्हें स्मरण करते हैं, तो जीवन में स्थिरता, विश्वास और दिव्यता का अनुभव होता है। सच में, भोलेनाथ ही वह शक्ति हैं जो हर युग, हर लोक और हर हृदय में निवास करते हैं।

Shiv murti

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