खा के धतूरा भांग भोले बाबा नाच रहे | भोलेनाथ की अलौकिक भक्ति और आनंदमय रूप
खा के धतूरा भांग भोले बाबा नाच रहे यह पंक्ति भगवान शिव की उस सहज और अनोखी भक्ति का प्रतीक है, जिसमें वे संसार के बंधनों से परे होकर भी सबके रक्षक बने रहते हैं। भस्म रमाए, जटाजूट धारी भोलेनाथ जब आनंद में नृत्य करते हैं, तो सृष्टि की सारी नकारात्मकता मिट जाती है। उनका यह नृत्य तांडव नहीं, बल्कि आनंद का रूप है — जो हमें यह सिखाता है कि सच्चा सुख बाहरी वैभव में नहीं, बल्कि आत्मिक शांति में है। शिव का यह रूप हमें सरलता, संतुलन और समर्पण की ओर प्रेरित करता है।

खा के, धतूरा भांग, भोले बाबा नाच रहे ll
कि, भोले बाबा नाच रहे, xll
खा के, धतूरा भांग….
ब्रह्मा, नाचे, विष्णु नाचे l
संग, में उनके, नारद नाचे ll
नाच, रहा ब्रह्मांड, भोले बाबा नाच रहे,
खा के, धतूरा भांग….
चंदा, नाचे, सूरज नाचे l
संग, में उनके, तारे नाचे ll
नाच, रहा आकाश, भोले बाबा नाच रहे,
खा के, धतूरा भांग….
गंगा, नाचे, यमुना नाचे l
संग, में उनके, सरयू नाचे ll
नाच, रहा पाताल, भोले बाबा नाच रहे,
खा के, धतूरा भांग….
शंकर, नाचे, गौरां नाचे l
संग, में उनके, गणपति नाचे ll
नाच, रहा कैलाश, भोले बाबा नाच रहै,,,
खा के, धतूरा भांग….
साधु, नाचे, जोगी नाचे l
संग, में उनके, हम सब नाचे ll
नाच, रहा संसार, भोले बाबा नाच रहे,
खा के, धतूरा भांग….
भाव से पूजन या ध्यान विधि
- दिन: सोमवार या महाशिवरात्रि का दिन सर्वोत्तम माना जाता है।
- स्थान: घर के मंदिर या शिवलिंग के समक्ष दीप जलाएँ।
- सामग्री: बेलपत्र, धतूरा, भांग, दूध, गंगाजल, फल और पुष्प अर्पित करें।
- प्रारंभ: “ॐ नमः शिवाय” का 11 बार जप करें।
- पूजन: शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाकर, धतूरा व बेलपत्र अर्पित करें।
- भक्ति भाव: मन में यह भाव रखें कि भोलेनाथ हर भक्त के आनंद और शुद्धता का प्रतीक हैं।
- समापन: हाथ जोड़कर प्रार्थना करें — “हे भोलेनाथ, हमारे जीवन में भी भक्ति और आनंद का नृत्य बना रहे।”
इस भक्ति से मिलने वाले लाभ
- मन में आनंद और सकारात्मकता बढ़ती है।
- संकटों का निवारण होता है और भय दूर होता है।
- भोलेनाथ की कृपा से जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है।
- भक्ति भाव से मन पवित्र और शांत रहता है।
- आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है और जीवन में शुभता का संचार होता है।
निष्कर्ष
खा के धतूरा भांग भोले बाबा नाच रहे यह केवल एक भजन की पंक्ति नहीं, बल्कि भक्ति में छिपे आनंद का प्रतीक है। भोलेनाथ हमें यह सिखाते हैं कि सच्चा नृत्य तब होता है जब मन ईश्वर में लीन होता है। उनका यह आनंदमय रूप हर भक्त के जीवन में उल्लास, शांति और भक्ति का संदेश देता है। जब हम भोलेनाथ को याद करते हैं, तो हर कठिनाई क्षण भर में मिट जाती है, और जीवन में शिवत्व की अनुभूति होने लगती है।

