धर्म की सदैव विजय होती है – उपराष्ट्रपति
• उपराष्ट्रपति ने काशी–तमिलनाडु के आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक संबंधों की सराहना की

• नागरथार समाज द्वारा निर्मित नवीन सत्रम का किया उद्घाटन
• प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में काशी के कायाकल्प की प्रशंसा
• कनाडा से लायी गई अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति की वापसी को बताया गर्व का क्षण
वाराणसी(जनवार्ता)।भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने आज सिगरा स्थित काशी नट्टुकोट्टई नगर सत्रम के नव निर्मित भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहे, जिन्होंने वाराणसी आगमन पर उपराष्ट्रपति का लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर स्वागत किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने काशी और तमिलनाडु के बीच प्राचीन सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि काशी की धरती पर आना सदैव आत्मिक अनुभव देता है। अपने पिछले 25 वर्षों में किए गए वाराणसी दौरों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि “काशी का कायाकल्प प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता का परिणाम है।”

श्री राधाकृष्णन ने बताया कि वर्ष 2000 में गंगा स्नान करने के बाद उन्होंने शाकाहारी जीवन अपनाया। उन्होंने नागरथार समाज के सामाजिक कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह समुदाय जहाँ भी जाता है, सेवा, संस्कृति और श्रद्धा का सेतु बनता है।

₹60 करोड़ की लागत से पूरी तरह समाज के सहयोग से निर्मित यह सत्रम श्रद्धा, सहयोग और धर्मनिष्ठा का प्रतीक है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि धर्म की सदैव विजय होती है, क्योंकि जिस भूमि पर यह भवन बना है, वह कभी अतिक्रमण में थी, जिसे राज्य सरकार के प्रयासों से पुनः प्राप्त किया गया। आज यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए पुण्यस्थली बन गया है।
उन्होंने कहा कि काशी को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी माना जाता है और यह सत्रम तीर्थयात्रियों के ठहराव के साथ ही आध्यात्मिक चेतना के प्रसार का केंद्र बनेगा।
उपराष्ट्रपति ने कनाडा से वापस लाई गई अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि यह घटना भारत की सांस्कृतिक अस्मिता और सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह मूर्ति एक सदी पूर्व वाराणसी से चोरी हुई थी, जिसे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 2021 में भारत वापस लाया गया।
10 मंजिला यह सत्रम 140 कक्षों वाला है और वाराणसी में समाज का यह दूसरा सत्रम है। इसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों को सुविधाजनक आवास उपलब्ध कराना और नई पीढ़ी को काशी से जोड़ना है। यह पहल “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना को सशक्त करती है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “हमारी भाषाएँ भिन्न हो सकती हैं, परंतु भारत की आत्मा एक है।” उन्होंने कहा कि रामेश्वरम से काशी तक का आध्यात्मिक सेतु भारत की एकता और सांस्कृतिक निरंतरता का प्रतीक है।
उद्घाटन के उपरांत उपराष्ट्रपति ने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन किया और देश की समृद्धि, शांति एवं कल्याण की कामना की। उन्होंने मंदिर परिसर स्थित अन्नपूर्णा अम्मन देवी मंदिर में भी श्रद्धा अर्पित की।

