श्री गणेश अष्टकम | विघ्नहर्ता श्री गणेश की कृपा प्राप्ति का दिव्य स्तोत्र

श्री गणेश अष्टकम | विघ्नहर्ता श्री गणेश की कृपा प्राप्ति का दिव्य स्तोत्र

श्री गणेश अष्टकम भगवान गणपति को समर्पित वह अद्भुत रचना है जो भक्त के जीवन से अज्ञान, भय और विघ्नों का नाश करती है। इसमें आठ श्लोकों के माध्यम से गणेश जी के स्वरूप, गुण और कृपा का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र हर कार्य की सफलता, विद्या की प्राप्ति और जीवन में शुभता लाने वाला माना गया है। जब मनुष्य सच्चे भाव से गणेश जी का स्मरण करता है, तब वे उसके हर कार्य में मार्गदर्शक बनकर खड़े रहते हैं। यह पाठ केवल आराधना नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है।

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शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ गणेश गणनाथ नमो नमस्ते |
इति निशा गौरी उठी सयन से देखा सभी को घेरे है निद्रा |
गाती जगाती गौरी सभी को गणेश गणनाथ नमो नमस्ते |
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ गणेश गणनाथ नमो नमस्ते ||

गौरी उमा गणपति को जगाये जागो उठो पुत्र सुनयन खोलो |
शिव गण सभी धुंद निनाद करते गणेश गणनाथ नमो नमस्ते |
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ गणेश गणनाथ नमो नमस्ते ||

देखो गजानंद सूरज निकलता लाली सारा नभ सोभता है |
रंगीन किरणे गाते है पंछी गणेश गणनाथ नमो नमस्ते |
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ गणेश गणनाथ नमो नमस्ते ||

बहती हवाएं तरु झूमते है नर तन से नटराज प्रसन्न होते |
भक्ते है ताली लय में बजाते गणेश गणनाथ नमो नमस्ते |
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ गणेश गणनाथ नमो नमस्ते ||

धोया उमा ने मुख गणपति का सोया हुवा लाल खिला कमल सा |
भवरे बने शिव गण गा रहे है गणेश गणनाथ नमो नमस्ते |
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ गणेश गणनाथ नमो नमस्ते ||

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शिव ध्यान करती माला पिरोती वो माँ बुलाती निज लाल को सब |
सखिया सभी सस्वर गीत गाती गणेश गणनाथ नमो नमस्ते |
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ गणेश गणनाथ नमो नमस्ते ||

जागो पुजारी शिव मंदिरो के करते शिवार्चन फूलो फलो से |
तुमभी चलो विघ्न हरो सभी के गणेश गणनाथ नमो नमस्ते |
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ गणेश गणनाथ नमो नमस्ते ||

ओमकार के सचमुच रूप हो तुम साकार श्रिष्टि के स्वरूप हो तुम |
बुद्धि प्रदाता धन धान्य दाता गणेश गणनाथ नमो नमस्ते |
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ गणेश गणनाथ नमो नमस्ते ||
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते ||

श्री गणेश अष्टकम पाठ विधि

  1. समय: बुधवार या चतुर्थी तिथि के दिन, प्रातःकाल स्नान के पश्चात।
  2. स्थान: घर के पूजाघर या मंदिर में गणेश जी की मूर्ति अथवा चित्र के समक्ष।
  3. सामग्री: लाल फूल, दूर्वा (तीन पत्तों वाली घास), दीपक, मोदक या लड्डू, और जल।
  4. पूजन क्रम:
    • दीपक जलाएँ और “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का जप करें।
    • गणेश जी को लाल फूल और दूर्वा अर्पित करें।
    • शुद्ध मन से “श्री गणेश अष्टकम” का पाठ करें।
    • अंत में आरती करें और प्रसाद (मोदक) चढ़ाकर परिवार में बाँटें।
  5. भाव: पाठ के दौरान मन को पूर्णतः गणेश भक्ति में समर्पित रखें और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।

श्री गणेश अष्टकम के पाठ से प्राप्त फल

  • जीवन के सभी विघ्न और बाधाएँ दूर होती हैं।
  • विद्या, बुद्धि और निर्णय शक्ति में वृद्धि होती है।
  • हर कार्य में सफलता और शुभ फल प्राप्त होते हैं।
  • परिवार में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का वास होता है।
  • मन में आत्मिक संतुलन और स्थिरता आती है।
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निष्कर्ष

“श्री गणेश अष्टकम” केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि वह दिव्य साधना है जो जीवन में नई दिशा और शक्ति प्रदान करती है। जब हम श्री गणेश जी का सुमिरन करते हैं, तो वे हमारे जीवन से अंधकार मिटाकर ज्ञान और सफलता के द्वार खोलते हैं। हर शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी के नाम से ही होती है, क्योंकि वे ही मंगल के अधिपति हैं। इसलिए प्रतिदिन कुछ क्षण उनके स्मरण में बिताएँ और विश्वास रखें — जहाँ गणपति का नाम है, वहाँ सफलता और शांति स्वतः आती है।

Shiv murti

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