गौरा चली गई मायके, भोले रह गए अकेले

गौरा चली गई मायके, भोले रह गए अकेले

“गौरा चली गई मायके, भोले रह गए अकेले” — यह भाव केवल एक गीत नहीं, बल्कि शिव-पार्वती के अद्भुत प्रेम का प्रतीक है। जब गौरा अपने मायके जाती हैं, तो कैलाश पर्वत भी जैसे शांत और विरह से भर जाता है। भोलेनाथ का यह रूप हमें सिखाता है कि प्रेम का अर्थ केवल साथ रहना नहीं, बल्कि एक-दूसरे की अनुपस्थिति में भी श्रद्धा और भाव बनाए रखना है। यह कथा भक्ति, स्नेह और जीवन की गहराई को दर्शाती है, जहाँ विरह भी भक्ति का एक सुंदर रूप बन जाता है।

rajeshswari

ना भोले के महल अटारी,
पर्वत पर घूमें अकेले, भोले रह गए अकेले,
गौरा चली गई मायके भोले रह गए अकेले…..

ना भोले के तन पीतांबर,
भस्मी अंग लपेटे, भोले रह गए अकेले,
गौरा चली गई मायके भोले रह गए अकेले…..

ना भोले के रोटी सब्जी,
भांगौ के खा रहे भोले, भोले रह गए अकेले,
गौरा चली गई मायके भोले रह गए अकेले…..

ना भोले के घोड़ा गाड़ी,
नंदी पर घुमत डोले, भोले रह गए अकेले,
गौरा चली गई मायके भोले रह गए अकेले…..

ना भोले के कुटुंब कबीला,
शुक्र सनीचर चेले, भोले रह गए अकेले,
गौरा चली गई मायके भोले रह गए अकेले…

गौरी-शंकर पूजा की विधि

  1. प्रातः स्नान के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  2. शिवलिंग पर जल, दूध, शहद और गंगाजल चढ़ाएँ।
  3. गौरा माता को लाल फूल, सिंदूर, सुहाग सामग्री और चंदन अर्पित करें।
  4. “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ पार्वत्यै नमः” मंत्रों का जप करें।
  5. शाम को दीपक जलाकर आरती करें और पारिवारिक सुख-शांति की प्रार्थना करें।
  6. सोमवार या शुक्रवार को यह पूजन विशेष फलदायी माना जाता है।
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गौरी-शंकर पूजा के लाभ

  • पति-पत्नी के संबंधों में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
  • घर-परिवार में सौभाग्य, शांति और समृद्धि आती है।
  • विवाह योग्य कन्याओं के लिए शुभ योग बनता है।
  • मन की अशांति दूर होती है और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
  • शिव-पार्वती की कृपा से हर संकट से रक्षा होती है।

निष्कर्ष

“गौरा चली गई मायके, भोले रह गए अकेले” यह भाव हमें याद दिलाता है कि सच्चा प्रेम दूरी से भी कमजोर नहीं होता। भले ही गौरा मायके चली जाएँ, पर उनका और भोलेनाथ का संबंध अटूट, अमर और पवित्र रहता है। यह कथा हमें सिखाती है कि जीवन में प्रेम और भक्ति का सार एक-दूसरे को सम्मान और स्थान देने में है। जब हम इस भाव से शिव-पार्वती की आराधना करते हैं, तो हमारे जीवन में भी स्नेह, संतुलन और आनंद का संचार होता है।

Shiv murti

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