भोला मानूँ एहसान तुम्हारो | भक्त के हृदय की गहराई से निकला आभार का स्वर
“भोला मानूँ एहसान तुम्हारो” — यह वाक्य उस भक्ति का रूप है जिसमें धन्यवाद, श्रद्धा और प्रेम का संगम है। जब जीवन में सब कुछ बिखरता प्रतीत होता है, तब भी भोलेनाथ अपने भक्तों को संभाल लेते हैं। वे करुणा के सागर हैं, जो बिना मांगे ही कृपा बरसाते हैं। भक्त जब अपने भीतर उनकी कृपा की अनुभूति करता है, तो उसके हृदय से यही स्वर निकलता है — “भोला मानूँ एहसान तुम्हारो।” यह भावना हमें याद दिलाती है कि ईश्वर का आभार व्यक्त करना भी भक्ति का सर्वोच्च रूप है।

भोला इतनॊ कर काम हमारो,
मानू एहसान तुम्हारो….
अंबर की मोहे चटक चुनरिया,
भोले जी बनवाए दीजो,
धरती जैसा लहंगा सिलवाऊ,
समुंदर की गोट लगा दीजो,
अरे या में शेषनाग नाडो,
मानू एहसान तुम्हारा,
भोला इतनॊ कर काम हमारो,
मानू एहसान तुम्हारो…..
बिन शेरे पाटी के पलका,
भोले जी बनवाए दीजो,
अंबर से वह लग ना जाए,
धरती से अधर उठा दीजो,
अरे दामन पर पोनिया कारो,
मानू एहसान तुम्हारा,
भोला इतनॊ कर काम हमारो,
मानू एहसान तुम्हारो…..
मगरमच्छ की मोए हसुलिया,
भोले जी गढ़वा दीजो,
बर्र ततिया के कुंडल,
मेरे कान में पहरा दीजो,
अरे नथनी पर बिच्छू कारो,
मानू एहसान तुम्हारा,
भोला इतनॊ कर काम हमारो,
मानू एहसान तुम्हारो…..
चंदा की बिंदी तुम मेरे माथे बीच लगा दीजो,
जितने तारे अंबर में, मेरी अंगिया में जड़वा दीजो,
अरे थोड़ी पर ध्रुव को तारो,
मानू एहसान तुम्हारा,
भोला इतनॊ कर काम हमारो,
मानू एहसान तुम्हारो…..
भोलेनाथ को धन्यवाद अर्पित करने की पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर शिवलिंग या शिव प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएँ।
- दूध, जल, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।
- बिल्वपत्र, चावल, सफेद फूल और चंदन अर्पित करें।
- ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- पूजन के अंत में “भोला मानूँ एहसान तुम्हारो” भाव से प्रणाम करें।
- दिनभर शिव-नाम का स्मरण करते हुए मन में आभार का भाव बनाए रखें।
आभारभाव से की गई भक्ति के फल
- मन में संतोष और स्थिरता का भाव विकसित होता है।
- जीवन के कष्ट कम होते हैं और सुख का अनुभव बढ़ता है।
- शिव-कृपा से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
- भक्ति और विश्वास की जड़ें गहरी होती हैं।
- ईश्वर से आत्मिक जुड़ाव और प्रेम की अनुभूति होती है।
निष्कर्ष
“भोला मानूँ एहसान तुम्हारो” — यह भाव हमें सिखाता है कि ईश्वर को केवल माँगने के लिए नहीं, बल्कि धन्यवाद देने के लिए भी याद किया जाना चाहिए। जब हम जीवन की हर परिस्थिति को उनकी कृपा मानकर स्वीकार करते हैं, तो भीतर का बोझ हल्का हो जाता है और मन में आनंद का संचार होता है। भोलेनाथ की कृपा का एहसास हमें विनम्र, शांत और कृतज्ञ बनाता है। इसलिए हर दिन एक पल उनके सामने सिर झुकाकर कहो — “भोला, मानूँ एहसान तुम्हारो।”

