भोले की चली है बरतिया | भक्ति और उत्सव का संगम – शिव विवाह का पावन स्मरण
“भोले की चली है बरतिया” यह पंक्ति भगवान शिव के दिव्य विवाह की आनंदमय छवि को जीवंत करती है। जब भोलेनाथ कैलाश से अपनी बारात लेकर निकलते हैं, तो देवता, ऋषि-मुनि, गण और भक्त सभी नृत्य करते हुए उनका स्वागत करते हैं। यह भक्ति भाव हमें सिखाता है कि जब ईश्वर का नाम लिया जाता है, तो हर हृदय में उल्लास और प्रेम का संचार होता है। शिव विवाह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह प्रतीक है — प्रेम, त्याग और भक्ति के पूर्ण मिलन का।

भोले की चली है बरतिया आए दूल्हा सांवरिया,
दूल्हा सांवरिया भोले दूल्हा सांवरिया,
भोले की चली है बरतिया आए दूल्हा सांवरिया….
शीश भोले के गंगा की लहरें,
माथे पर चंदा चम चम चमके,
गले में सर्पों की लड़ियां आए दूल्हा सांवरिया,
भोले की चली है बरतिया आए दूल्हा सांवरिया….
कान भोले के बिच्छू साजे,
हाथों में डमरू डम डम बाजे,
कमर में बांधे कोधनिया आए दूल्हा सांवरिया,
भोले की चली है बरतिया आए दूल्हा सांवरिया….
तन मृग छाला पहने हुए हैं,
अंग भभूति रमाए हुए हैं,
पैरों में डाली घुँगरिया आए दूल्हा सांवरिया,
भोले की चली है बरतिया आए दूल्हा सांवरिया….
करके नंदी कि वो सवारी,
दूल्हा बन के आए त्रिपुरारी,
भूतों की सोहे बरतिया आए दूल्हा सांवरिया,
भोले की चली है बरतिया आए दूल्हा सांवरिया….
नर नारायण सब हैं हर्षित,
गोरा भोले की जोड़ी सुशोभित,
सखियां गाएं भंवरिया आए दूल्हा सावरिया,
भोले की चली है बरतिया आए दूल्हा सांवरिया….
भोले बारात पूजा की विधि
- सुबह स्नान कर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- दीपक जलाएँ और गंगाजल, दूध, बेलपत्र, पुष्प, और अक्षत अर्पित करें।
- “ॐ नमः शिवाय” और “हर हर महादेव” का जप करें।
- भक्ति भाव से यह पंक्ति गुनगुनाएँ — “भोले की चली है बरतिया, जयकारा हर हर महादेव।”
- अंत में शिव-पार्वती के दिव्य मिलन की मंगलकामना करें।
इस भक्ति से प्राप्त होने वाले पुण्य फल
- घर-परिवार में खुशहाली और सौहार्द बढ़ता है।
- वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्थिरता आती है।
- मन में आनंद, श्रद्धा और भक्ति भाव जागृत होता है।
- संकट और बाधाएँ दूर होकर जीवन में संतुलन आता है।
- शिव-पार्वती की कृपा से आध्यात्मिक उन्नति और शांति की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
“भोले की चली है बरतिया” हमें यह याद दिलाती है कि जब जीवन में भक्ति और आनंद एक साथ जुड़ते हैं, तो हर दिन एक उत्सव बन जाता है। शिव की बारात केवल पर्व नहीं, यह हमारे भीतर प्रेम, सरलता और समर्पण का प्रतीक है। जब हम शिव के जयकारे लगाते हैं, तब नकारात्मकता दूर होकर मन में उत्साह और ऊर्जा भर जाती है। हर भक्त को अपने हृदय में यह भाव रखना चाहिए कि उसकी आत्मा भी उस दिव्य बारात का हिस्सा है — जहाँ केवल प्रेम और भक्ति का नृत्य है।

