भोलेनाथ को सम्मुख पाएगा | सच्ची भक्ति और श्रद्धा का प्रतिफल

भोलेनाथ को सम्मुख पाएगा | सच्ची भक्ति और श्रद्धा का प्रतिफल

“भोलेनाथ को सम्मुख पाएगा” यह भाव भक्त के उस दृढ़ विश्वास को दर्शाता है कि जो मन से सच्ची भक्ति करता है, उसे अंततः ईश्वर के दर्शन अवश्य होते हैं। भगवान शिव, जो करुणा और सरलता के प्रतीक हैं, अपने भक्तों की पुकार अवश्य सुनते हैं। यह पंक्ति हमें यह प्रेरणा देती है कि श्रद्धा के साथ, बिना किसी लोभ या भय के यदि हम भक्ति करें, तो ईश्वर हमारे बहुत निकट आ जाते हैं। शिव केवल पर्वतों में नहीं, बल्कि हर सच्चे हृदय में निवास करते हैं।

rajeshswari

भजन जो भाव से गाएगा,
तेरा दुख दूर हो जाएगा,
देखेगा जो नयनों से मन के,
भोले नाथ को सम्मुख पाएगा…..

मन में तेरे भक्ति भाव नहीं,
गिरा आँखों पे पर्दा माया का,
तुझे प्रभु मिलन का चाव नहीं,
क्या करना ऐसी नश्वर काया का,
माया सब धरी रह जाएगी,
तन धूल हो जाएगा,
देखेगा जो नयनों से मन के,
भोले नाथ को सम्मुख पाएगा,
भजन जो भाव से गाएगा…..

मन में अपने भक्ति जगाले,
ध्यान भाव और चिंतन से,
सुख सच्चे सारे मन तू पाले,
जपे जा नाम उनका मन से,
भक्ति मन में जगा के जो तू,
नाम चिंतन मन में जगाएगा,
देखेगा जो नयनों से मन के,
भोले नाथ को सम्मुख पाएगा,
भजन जो भाव से गाएगा……

जीवन सौंप दे चरणों में उनके,
सर्वस्व अपना अर्पण कर दे,
वैसे क्या है तेरा यहाँ रे बंदे,
सब उनका है समर्पण कर दे,
सौंप कर सब चरणों में उनके,
राजीव जीवन तेरा संवर जाएगा,
देखेगा जो नयनों से मन के,
भोले नाथ को सम्मुख पाएगा,
भजन जो भाव से गाएगा…..

इसे भी पढ़े   हनुमान जी की आरती

भोलेनाथ की उपासना का सरल तरीका

  1. प्रातःकाल स्नान कर शिवलिंग के समक्ष दीपक और अगरबत्ती जलाएँ।
  2. गंगाजल, दूध, बेलपत्र और पुष्प अर्पित करें।
  3. शांत मन से यह वाक्य दोहराएँ — “भोलेनाथ को सम्मुख पाएगा।”
  4. “ॐ नमः शिवाय” का जप करते हुए शिव के साक्षात रूप का ध्यान करें।
  5. अंत में यह प्रार्थना करें — “हे महादेव, मुझे आपकी उपस्थिति का अनुभव करने की शक्ति दें।”

इस साधना के शुभ परिणाम

  • मन में शिव के प्रति विश्वास और स्थिरता बढ़ती है।
  • नकारात्मक विचारों का अंत और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • शिव कृपा से बाधाएँ दूर होकर कार्य सिद्ध होते हैं।
  • आत्मा को शांति, संतोष और आध्यात्मिक जागृति प्राप्त होती है।
  • भक्ति का यह भाव जीवन में स्थायी आनंद और स्नेह लाता है।

निष्कर्ष

“भोलेनाथ को सम्मुख पाएगा” केवल एक विश्वास नहीं, बल्कि एक सच्ची साधना का परिणाम है। जब हृदय में भक्ति प्रबल होती है और मन अहंकार से मुक्त होता है, तब ईश्वर स्वयं अपने भक्त के समक्ष प्रकट होते हैं — चाहे रूप में न सही, पर अनुभूति में अवश्य। इस भाव से की गई उपासना जीवन में प्रकाश, प्रेम और परम शांति का संचार करती है।

Shiv murti

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *