बिना तुम्हारे कौन उबारे | ईश्वर की करुणा और शरणागति का अद्भुत भाव
“बिना तुम्हारे कौन उबारे” — यह पंक्ति भक्त के हृदय से निकली वह सच्ची पुकार है जो पूर्ण भक्ति और समर्पण से भरी होती है। जब इंसान अपने जीवन की उलझनों में खुद को अकेला पाता है, तब उसे यह एहसास होता है कि ईश्वर की कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं। यह भाव हमें विनम्रता, श्रद्धा और भक्ति की ओर ले जाता है। यह मान्यता कि प्रभु ही हमारे सच्चे सहारा हैं, मन को शांति और आत्मा को सुकून देती है। जो व्यक्ति इस विश्वास के साथ जीता है, वह हर विपत्ति में भी स्थिर रहता है।

बिना तुम्हारे कौन उबारे भटकी नाव हमारी किनारा खो गया है,
तुम्ही रैया तुम्ही खिवैयाँ किनारा खो गया है,
तारण तरिया तुम हो तुम ही हमारी पतवार हो,
इस अँध्यारे में तुम ही जीवन के आधार हो,
कभी डरावे जीवन हमको कभी मौत मतवारी किनारा खो गया है,
बिना तुम्हारे कौन उबारे……..
जाये कहा मैं तोहे हम को संभालो संसार में,
आशा निराशा की है बहुत से हिलोरे मझधार में,
किसे सुनाये किसे बताये रख लो लाज हमारी, किनारा खो गया है,
बिना तुम्हारे कौन उबारे……..
जाने कहा कर वाइये ले जा हम को वहाव में,
ओ मुक्ति दाता तुम तो आकर विराजो अब तो नाव में,
तुम्हे पुकारे भक्त तुम्हारे जो है बात तुम्हारी, किनारा खो गया है,
बिना तुम्हारे कौन उबारे……..
मोह माया छूटा नहीं ईर्षा ने हम को है गेर लिया,
अपना पराया कब से देश का मन में धार लिया,
इस बंधन से कौन छुड़ाए पकड़ो बाह हमारी,किनारा खो गया है,
बिना तुम्हारे कौन उबारे……..
भाव से पूजन या स्मरण विधि
- दिन: सोमवार, गुरुवार या शनिवार का दिन विशेष रूप से शुभ है।
- स्थान: घर के मंदिर में या भगवान के चित्र/मूर्ति के सामने दीपक जलाएँ।
- सामग्री: फूल, चंदन, धूप, दीपक, और प्रसाद (खीर या फल)।
- प्रारंभ: शांत मन से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या अपने आराध्य का नाम 11 बार जपें।
- पूजन: भगवान को पुष्प और चंदन अर्पित करें और मन में कहें — “हे प्रभु, बिना आपके कोई नहीं जो मेरी रक्षा कर सके।”
- आरती करें: दीपक घुमाकर आरती गाएँ और प्रभु से अपने जीवन के मार्गदर्शन की प्रार्थना करें।
- समापन: प्रसाद ग्रहण करें और कुछ समय शांत बैठकर प्रभु के नाम का स्मरण करें।
इस भक्ति से मिलने वाले लाभ
- मन की अशांति और भय दूर होते हैं।
- जीवन में ईश्वर पर विश्वास और स्थिरता आती है।
- कठिन समय में साहस और धैर्य प्राप्त होता है।
- भक्ति से परिवार में सुख और समरसता बनी रहती है।
- ईश्वर की कृपा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।
निष्कर्ष
“बिना तुम्हारे कौन उबारे” — यह वाक्य हर भक्त के लिए जीवन का सच्चा संदेश है। जब हम सब कुछ भगवान को समर्पित कर देते हैं, तब मन का बोझ हल्का हो जाता है। प्रभु वही करते हैं जो हमारे लिए सर्वोत्तम होता है, बस हमें उन पर विश्वास बनाए रखना होता है। यह भाव सिखाता है कि जीवन की हर कठिनाई का समाधान ईश्वर की शरण में ही है। जब भक्त सच्चे मन से कहता है — “बिना तुम्हारे कौन उबारे”, तब स्वयं प्रभु उसकी नाव को जीवन के सागर से पार लगा देते हैं।

